अकेलापन
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।मेरा घर सुना सुना है, चले आओ।
अकेले है हम अकेले हो तुम चले आओ।।
ये तन्हाई मेरी और बढ़ती मेरी उम्र।
ये ढलते हुए दिन और आती हुई रातें।
मुझे अब इनसे बहुत लगता है डर।
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।
मेरा घर सुना सुना है, चले आओ।।
तुम्हें हम देखते है क्या तुम भी ढूँढते हो।
ये हैं दिल जो मेरा कही लगता नही है।
इसलिए तेरी मुझे याद आती रहती।
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।
मेरा घर सुना सुना है, चले आओ।।
मुझे क्यों छोड़ दिये तुम
क्या मैंने की खता कुछ।
तुझे मालूम नहीं क्या
तेरे बिना हम अधूरे।
मुझे तेरी जरूरत तुझे क्या नही जरूरत।
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।
मेरा घर सुना सुना है, चले आओ।।
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।
मेरा घर सुना सुना है, चले आओ।
अकेले हैं हम अकेले हो तुम चले आओ।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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