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दूर होकर भी पास हो

दूर होकर भी पास हो

मैं तो तुम्हारे दिलमें रहता हूँ।
तुम्हें अपने दिलमें रखता हूँ।
दिलकी हर धड़कन में तुम हो।
न तुम दूर हो न हम दूर है।
बस प्यार मोहब्बत की हमारी।
तुम्हारी मंजिले सच में एक है।।

दो जिस्म और जान होकर भी।
हम दोनों हमेशा एक रहे है।
लाख फ़ासले हुए जिंदगी में।
पर हम दोनों दिलसे एक रहे।
रोज तुम्हारी तस्वीर देखता हूँ।
और उसमें अपनी सूरत देखता हूँ।।

प्यार मोहब्बत में त्याग बलिदान।
हमें जिंदगी में करना पड़ता है।
एक जान होकर भी दोनों को।
कभी अलग अलग होना पड़ता हैं।
पर इसका मतलब बेबफाई नहीं है।
इसे तो प्यार मोहब्बत जिंदा रहता है।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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