परिवार का दोहरा सच

परिवार का दोहरा सच

कुछ कमियां अपनी बेटी में, कुछ बेटों में खामी है,
सास ससुर को कम मत समझो, उनमें भी नादानी है।
मिलजुल कर घर में रहना, परिवार कहाया करता है,
अक्सर देखा हमने घर में, किसी एक की मनमानी है।
पहले सास बुरी होती थी, ऐसा सबकी सास बताती,
अब बहुओं का कब्जा घर पर, मुश्किल जान बचानी है।
बेटी माँ के गीत सुनाती, बेटे को भी सास ही भाती,
भाभी ख्याल रखे सास का, खुद सासू से मुक्ति पानी है।
सास ससुर रहें वृद्धाश्रम, या तन्हां होकर दूर रहें,
निज माँ का हस्तक्षेप रहे, घर घर की यही कहानी है।
भाई को गुलाम बताकर, जो भाभी पर ताना कसती,
कठपुतली सा नचा पति को, कहती वो दिवानी है।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ