"मारीच का वास"

"मारीच का वास"

मारीच छिपा है हम सब में,
यह सच है जग जाहिर,
बाहर निकालो इस धोखे को,
करो जीवन को सच्चा निर्मल।

कषायों का जहर घोलता है,
मन में भरता अंधकार,
लूट लेता है सुख-शांति सब,
कर जाता है जीवन बेकार।

लोभ, क्रोध, ईर्ष्या, घृणा,
ये सब मारीच के रूप,
इनका ना करो कभी स्वागत,
दूर करो इनके स्वरुप।

प्रेम, दया, क्षमा, करुणा,
ये हैं दीपक जीवन के सुमंत,
इनको जलाकर मारीच सों,
कलुष दूर भगाओ तुरंत।

आत्मज्ञान का सूरज उगाओ,
हृदय में करो प्रकाश,
मारीच का नाश करो तुम,
पाओ जीवन का सुख-विलास।

. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ