रीड योर वे , आनंद का परम स्पंदन

रीड योर वे , आनंद का परम स्पंदन

पुस्तक आभा मनोहारी,
उरस्थ शीतलता प्रदायक।
तृप्त कर जिज्ञासा पटल,
अभिव्यक्ति प्रेरणा नायक ।
शब्द भाव सरित वाहिनी,
नित्य शुभता मानस मंडन ।
रीड योर वे, आनंद का परम स्पंदन ।।


स्व रुचि अभिरुचि चयन,
विषय शीर्षक सहज विकल्प ।
ज्ञान तरंगिनी भव्य उपमा,
शिक्षण अधिगम बाधा अल्प ।
इतिहास संस्कृति भाषा संग,
गणित विज्ञान सूत्र खंडन ।
रीड योर वे, आनंद का परम स्पंदन ।।


गद्य पद्य प्रारूप सरस,
कहानी निबंध संग्रह अनूप ।
धर्म कर्म आस्था उद्गम,
नैतिक सात्विक मूल्य कूप ।
बाल मन तरंग अनुपमा संग,
उच्च उपाधि स्तर अभिवंदन ।
रीड योर वे, आनंद का परम स्पंदन ।।


उज्ज्वल ओजस्वी भविष्य निधि,
उत्तम चरित्र निर्माण माध्य ।
स्नेह प्रेम भाईचारा उन्नत,
शीर्ष योग्यता प्रतिभा साध्य ।
परम घनिष्ठ मैत्री प्रभा,
जीवन सुरभि सम चंदन ।।
रीड योर वे, आनंद का परम स्पंदन ।।


महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)
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