ज्योतिष में रोग विचार और उसके निदान विषय पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी

ज्योतिष में रोग विचार और उसके निदान विषय पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी

उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
पटना के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में "ज्योतिष में रोग विचार और उसके निदान" विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ मनोज कुमार ने किया। संयोजक विवेक कुमार तिवारी एवं डॉ ज्योत्सना थे।
मुख्य अतिथि प्रो उमेश शर्मा एवं मुख्य वक्ता के रूप में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो कुणाल कुमार झा ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार, ग्रह एवं राशि के कारण अनेक रोग होते हैं और ग्रह शांति कराकर रोग से मुक्ति मिल सकती है।
विवेक कुमार तिवारी ने विषयोपस्थापन किया। ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ राजनाथ झा ने विशिष्ट वक्ता के रूप में विषय पर विशेष टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ज्योतिष की गणना के आधार पर रोगों की पहचान पहले से की जा सकती है तथा उसका उपचार भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्योतिष की अवधारणा अत्यंत प्राचीन है और विज्ञान से परे है, इसलिए ज्योतिष की गणना को नकारा नहीं जा सकता है।
उन्होंने विशेष रूप से कैंसर रोग के जन्म और उसके निदान पर विशेष व्याख्यान दिया। ऑनलाइन माध्यम से रामधनी मिश्र संस्कृत महाविद्यालय, बक्सर के डा निर्भय कुमार पांडेय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के डा अश्वनी पांडे एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से डा मधुसूदन मिश्र ने विषय पर अपने विचार व्यक्त किया। साथ ही ब्रजभूषण संस्कृत महाविद्यालय, खरखुरा, गया के डा अंबुज त्रिवेदी एवं महंत केशव संस्कृत महाविद्यालय, फतुहा के डा जीवानंद झा ने विविध रोगों एवं उसके निदान पर अपने वक्तव्य दिए।
उक्त अवसर पर हथुआराज संस्कृत महाविद्यालय के डा अनिल कुमार झा एवं महंत केशव संस्कृत महाविद्यालय, फतुहा के डा उपेंद्र चौधरी एवं अनेक शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में वैदिक मंगलाचरण गिरधारी कुमार झा ने किया। विवेक कुमार तिवारी ने मंच संचालन किया स्वागत भाषण डा ज्योत्स्ना ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा शिवानंद शुक्ल ने किया।
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