पैसा

पैसा

बन जाते हैं सब रिश्तेदार, जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है ग़रीबी में, जो रिश्ता ख़ास होता है।
आ जाती है अक्ल ज़माने की, पैसे की गरमाई से,
ग़रीबी में बुद्धिमान भी, बेवकूफ अहसास होता है।
मिल जायेंगे बहुत पढ़े लिखे, करेंगे चाकरी उम्र भर,
फिरते मारे मारे सड़क, हज़ारों डॉक्टर इंजीनियर।
है सब कुछ बिकाऊ अब, हैसियत ख़रीदने की हो,
किसी ईमानदार को चुनना, बना लेना निज मैनेजर।
डॉ अ. कीर्ति वर्द्धन
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