तब मुझे याद आया !

तब मुझे याद आया !

===(अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव)
स्मृतियों के पुस्तकालय में
हजारों पन्ने सहेजे पडे थे ,
तब मुझे याद आया-
कुछ पढे, कुछ अनपढे थे !
समय मिला, तो एक पन्ना पलट लिया,
पढते-पढते लगा,एक ही पन्ने पर-
हजारों किताब चढे थे !
उम्र बीत जायेगी पढते-पढते,
हर हरफ में, नये पुस्तकों की गठरी
-किसने गढे थे ??
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