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शिव शंकर कैलाशपति

शिव शंकर कैलाशपति


रमाकांत सोनी सुदर्शन
शिव शंकर कैलाशपति की, कर ले सेवा यार मेरा।
औघड़ दानी भोला भंडारी, भर देगा भंडार तेरा।
शिव शंकर कैलाशपति की


जटा लपेटे सर्प की माला, नीलकंठ शंकर प्यारे।
करै बैल असवारी बाबा, शीश पे शिव गंगा धारे।
जल भर लोटा चढ़ावे शंभु, मिट जाए मन का फेरा।
हर हर महादेव रटता जा, हर लेगा हर संकट तेरा।
शिव शंकर कैलाशपति की


नीलकंठ बाबा भूतनाथ, महाकाल शिव अविनाशी।
बाघाम्बर धारी सदाशिव, ध्यान लगाए बाबा काशी।
डम डमरू चिमटा बाजे, शमशानों में शिव का डेरा।
भस्म रमाएं शिव बाबा बैठे, भोलानाथ दातार मेरा।
शिव शंकर कैलाशपति की


हाथों में तिरशूल धारे, नटराज तेरा तांडव प्यारा।
गले हलाहल शिव सोहे, काशीनाथ सबसे न्यारा।
मंझधार से पार करा दे, बाबा है बड़ा दयालु मेरा।
भर देता भंडार भक्त के, सुखी कर दे हर पल तेरा।
शिव शंकर कैलाशपति की


रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है
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