अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारत की बेटी की पुकार ---
माँ मुझको बन्दूक दिला दे, मैं सीमा पर जाऊँगी,बन्दूक और बम चलाकर, दुश्मन को निपटाऊँगी।
भूल गया है आज पाक फिर, 71 के अफसानों को,
एक लाख थे बंदी बनाये, उसको याद दिलाऊँगी।
छल, कपट और धोखा देना, उसकी सोच पुरानी है,
आँख अगर इस बार उठायी, नक़्शे से पाक मिटाऊँगी।
खेल चूका है खेल बहुत, आतंकवाद और अलगाव का,
कसम तुम्हारी माँ खाती हूँ, उसको औकात बताऊँगी।
जाने कितने निर्दोषों को उसने, मौत के घाट उतारा,
ठान लिया है मैंने भी अब, वहीँ उनकी कब्र बनाऊँगी।
जाने कितने आतंकी वहाँ, सत्ता संरक्षण में पलते,
बबूल पेड़ पर आम ना होंगे, उनको यह समझाउँगी।
इस बार तो मासूमों को भी, आतंकियों ने मार दिया,
तब भी उसकी आँख खुली ना, दुनिया को बतलाऊँगी।
आग लगाकर मेरे मुल्क में, सोच रहा आराम से सोना,
उन आग की लपटों से माँ, उसको ही झुलसाऊँगी।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com