मोहक था डा नगेंद्र प्रसाद 'मोहिनी' जी का व्यक्तित्व :-डा अनिल सुलभ

मोहक था डा नगेंद्र प्रसाद 'मोहिनी' जी का व्यक्तित्व :-डा अनिल सुलभ

  • जयंती पर दिया गया सांगितिक तर्पण, अर्पित की गयी काव्यांजलि ।
पटना, ५ जनवरी। शास्त्रीय नृत्य के महान आचार्य और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कलामंत्री डा नगेंद्र प्रसाद 'मोहिनी' कला, संगीत और साहित्य के मूर्तमान रूप थे। वे एक ऐसे नृत्यर्षि थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संगीत और नृत्य को अर्पित कर दिया था। हज़ारों शिष्य-शिष्याओं को नृत्य में निपुण बनाया और अनेकों पुस्तकें लिख कर इस सारस्वत आनंद-प्रद विधा को समृद्ध किया।उनका संपूर्ण व्यक्तित्व उनके उपनाम के समान ही मोहक था।
यह बातें शुक्रवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मोहिनी जी की जयंती पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि मोहिनी जी कला को समर्पित एक ऐसे कलाकार थे, जिन्हें ईश्वर ने अपने समस्त सारस्वत वैभव से परिपूर्ण किया था। वे नृत्य-शास्त्र में पी एच डी की उपाधि प्राप्त करने वाले देश के अंगुली-गण्य आचार्यों में एक थे। सम्मेलन के कला विभाग को उन्नत करने तथा मंच के सौंदर्यीकरण में उन्होंने अपनी सांगितिक प्रतिभा ही नहीं अपना धन भी लगाया।
समारोह की मुख्यअतिथि और मौरिशस की सुविख्यात साहित्यकार डा सरिता बुधु ने कहा कि भारत और मौरिशस की संस्कृति एक है। हमारे पूर्वज भारत से ही, विशेषकर बिहार और उत्तरप्रदेश से मौरिशस गए और अपने अथक श्रम से एक नए राष्ट्र का निर्माण किया। आज बिहार के लोग मौरिशस का शासन कर रहे हैं। संगीत-नृत्य में मोहिनी जी के अवदान जानकर मुझे गौरव की अनुभूति हुई है।
आरंभ में, सम्मेलन के कलाविभाग की ओर से कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में नृत्य-गुरु को सांगितिक तर्पण दिया गया। यामिनी शर्मा, तान्या शर्मा और काशिका पाण्डेय का कथक-नृत्य, इमली दासगुप्ता की 'ओडिसि', आयुर्मान यास्क का 'भरत-नाट्यम', अविनय काशीनाथ पाण्डेय तथा पल्लवी विश्वास के गायन का श्रोताओं ने हाथ-खोलकर प्रशंसा की।
इस अवसर पर आयोजित 'काव्यांजलि' का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा डा प्रतिभा रानी, डा मीना कुमारी परिहार, शीतल श्रीवास्तव, ई अशोक कुमार, सिद्धेश्वर, बाँके बिहारी साव, युगेश कुशवाहा, बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता आदि कवियों और कवयित्रियों ने काव्य-पाठ किया। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। वरिष्ठ नृत्यांगना मीना सिंह, सुप्रसिद्ध तबला-वादक अजय ठाकुर, ई अवध बिहारी सिंह, डा आशुतोष झा, डा राजीव कुमार, पीयूष रंजन झा, डा चंद्रशेखर आज़ाद, सोहिनी प्रिया, अमन वर्मा, नन्दन कुमार मीत, डा राम ईश्वर सिंह तथा अमन वर्मा ने पुष्पांजलि अर्पित की।
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