प्राण- प्रतिष्ठा का आमंत्रण अस्वीकार कर कांग्रेस नेतृत्व ने पूरी पार्टी को दांव पर लगा दिया---------- डॉ. मिश्र

प्राण- प्रतिष्ठा का आमंत्रण अस्वीकार कर कांग्रेस नेतृत्व ने पूरी पार्टी को दांव पर लगा दिया---------- डॉ. मिश्र

जिस कांग्रेस की बुनियाद महात्मा गांधी पर टिकी है और जिनके आराध्य भगवान राम हैं हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय राजनीति को स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन के महान नेता महात्मा गांधी के कुछ मूल्य और प्रतिबद्धताएं विरासत में मिली हैं जिसके हम बारिश हैं। गांधी नहीं बल्कि गांधीयुग के उन नेताओं की त्याग- तपस्या राष्ट्रवादी चरित्र और विचार, आचरण और चरित्र समाज के लोगों के लिए अनुकरणीय होता था। किंतु दुर्भाग्य है कि पिछले दो-तीन दशकों से कांग्रेस की राजनीति का पतन हुआ है। उसमें हमारे जैसे लाखों कांग्रेसी एवं कांग्रेस समर्थक जनो को श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा जो रामराज्य की स्थापना का संदेश दे रहा है उस कार्यक्रम का साक्षी सहभागी न बनाकर विरोध का निर्णय लेना किंचित भी आश्चर्य का विषय नहीं रहा है। यह कथन है विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ विवेकानंद मिश्रा का, जिसे उन्होंने डॉक्टर विवेकानंद पथ, गया स्थित अपने आवास पर प्रेसवार्ता में कहा है। गांधी जी का प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम एवं अंतिम शब्द " हे राम " जो उनकी समाधि पर आज भी अंकित है, जाकर पुष्प चढ़ाने वाले को याद रखना चाहिए था कि भगवान राम उनके आदर्श थे। रामराज की स्थापना बापू के का लक्ष्य था। अयोध्या में राममंदिर के निर्माण तथा रामलला के प्राण- प्रतिष्ठा समारोह के ऐतिहासिक अवसर का एक यह गौरवशाली क्षण है और वर्तमान पीढ़ी इसे बेहद भाग्यशाली मान रही है, क्योंकि राम पीड़ित, शोषित और वंचितों की आत्माभिव्यक्ति हैं, जिन पर आज भी कांग्रेस की बुनियाद टिकी है । आज इस विचार को मानने वाले तमाम राष्ट्रभक्तों, कांग्रेस के निष्ठावान समर्पित जनों की भावनाओं पर चोट पहुंचाकर आखिर शीष॔ नेतृत्व क्या चाहती है । डॉक्टर मिश्र ने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा उठाया गया यह कदम आत्मघाती है, आंख में पट्टी बांधकर कुएं में कूदने जैसी करवाई है। कांग्रेस उस अक्षम्य गलती के लिए जिसमें न्यायालय के समक्ष प्रभु राम एक वादी के रूप में थे, जिसका जाने -अनजाने कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही थी, जिस पर रामजन्मभूमि के पक्ष से जुड़े तमाम लोग विरोध करने का आरोप लगाते रहे हैं, उसपर अपनी कार्यशैली से विरोध कर, निमंत्रण को अस्वीकार कर उस आरोप को पुष्ट किया है कि राम का अस्तित्व तो है ही नहीं।
कांग्रेस को अभी समय रहते इस त्रुटि को सुधार लेने का अवसर है। संपूर्ण राष्ट्र की आस्था हैं भगवान राम जो जन-जन की जिह्वा पर पुण्य के रूप में बसे हुए हैं।। अतीत में हुई आस्था पर गहरे आघात को दूर करने का ऐतिहासिक अवसर है राम प्राण-प्रतिष्ठा समारोह । यह अपूर्व राष्ट्रीय सांस्कृतिक पर्व है। देश में अप्रतिम उत्साह, उल्लास है । इसमें सम्मिलित न होकर कांग्रेस देश का अपना रहा-सहा भरोसा भी खो देगी।

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