आज तुम पैसा के बल पर

आज तुम पैसा के बल पर ,

मुझ पर अपनी हकदारी जमा रहे हो ।
तुम वफ़ा का मतलब जानते ही नहीं ,
आज मतलब है तो फिर वफादारी जना रहे हो ।
आज हमें पैसे की जरूरत है ,
और तुम्हें हवस की जरूरत है ।
हमारी तुम्हारी जरूरतें अलग अलग हैं ,
अब हमारे तुम्हारे रास्ते अलग अलग हैं ।
जिस दिन तुम्हारे प्यार में ,
हमनें तुमसे धोखा खायी थी।
कुछ बचा नहीं था अब खोने को ,
इस लिए यह राह अपनायी थी ।
अब यह घिनौनी जीवन हीं ,
मेरी बची खुची जिन्दगानी है ।
मेरे जीवन को नरक में पहुंचाने वाले ,
आज मुझे ऐसे देख कर तुम्हें कैसी हैरानी है ।
अब जाओ यहां से ऐ हवसी पुरुष ,
पर जाते-जाते यह जरूर ध्यान रखना ।
झूठे प्यार के बंधन में बांध ,
फिर किसी मासूम को यों बर्बाद न करना । 
जय प्रकाश कुंअर
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