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कहीं मसर्रत, तो कहीं वबाल है।

कहीं मसर्रत, तो कहीं वबाल है।

-- डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
कहीं मसर्रत, तो कहीं वबाल है।
कहीं गोश्त, तो कहीं कंकाल है।
न कुछ अच्छा है, न कुछ बुरा है,
सब सिर्फ नजरिये का कमाल है।
झूठे हैं, सारे जवाब निहायत झूठे,
सच तो केवल सवाल ही सवाल है।
हम गए थे पूछने बीमार का हाल,
खुद अपना ही हाल जब बेहाल है ।
जब टूट गया तार ही सितार का , 
अब ताल क्या,सब बस बेताल है।
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