सभी राजनेता पढें और समझें कि मुफ्त से क्या होता है?
न मकान गिरवी है, न लगान बाकी है,बस कर्ज का मुफ्त, भुगतान बाकी है।
करता था मेहनत, कभी खेत में अपने,
बंजर पडा है खेत, बस मचान बाकी है।
मुफ्त में चूल्हा, मुफ्त गैस सिलेंडर भी,
मुफ्त में गैस मिले, फरमान बाकी है।
मुफ्त मे यात्रा, मुफ्त मे बिजली पानी,
मुफ्त मे सैक्स सुविधा, इंतजाम बाकी है।
हो गया आराम तलब, माफी के नाम पर,
मनरेगा में मजदूरी, बस मकान बाकी है।
बरसती थी कभी आँखे, सूखे खेत देखकर,
अब न कोई चाहत, न अरमान बाकी है।
मिल जाये रोज दारू, कुछ दोस्तों का साथ,
पत्नी दुखी- बच्चों का, इम्तिहान बाकी है।
बन गये कुछ नेता यहाँ, मुफ्त के नाम पर,
मुफ्त की सियासत, धरने का परिणाम बाकी है।
डॉ अ कीर्ति वर्धन
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