सरल-सहज किंतु मर्म-वेधक हैं श्रीकांत व्यास के वयंग्य :-डा अनिल सुलभ

सरल-सहज किंतु मर्म-वेधक हैं श्रीकांत व्यास के वयंग्य :-डा अनिल सुलभ

  • साहित्य सम्मेलन में उपन्यास 'लीलाधर महाराज' का हुआ लोकार्पण, आयोजित हुई लघुकथा-गोष्ठी ।
पटना, २८ दिसम्बर। कवि,लेखक और पत्रकार श्रीकांत व्यास मौलिक रूप से व्यंग्यकार हैं। इनकी भाषा सरल, सहज है किंतु इनके वयंग्य मर्म-वेधक हैं। साहित्य के अहर्निश सेवी हैं व्यास। साधना में विघ्न न पड़े, इसलिए अविवाहित रहने का निर्णय लिया। लेखन के एक सूत्री कार्य में लगे रहते हैं। इसलिए प्रति वर्ष इनकी पुस्तकों की आमद होती रहती है।
यह बातें, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गुरुवार को श्री व्यास के सद्यः प्रकाशित उपन्यास 'लीलाधर महाराज' के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि लोकार्पित पुस्तक, हास्य-वयंग्य के रोचक प्रसंगों के कारण,पाठकों को निरन्तर बांधे रखने में सफल होगी। हिन्दी में पठनीयता की आ रही कमी का दूर करने में ऐसे साहित्य लाभकारी हो सकते हैं। व्यास जी थोड़ी साधना और बढ़ाएँ तो श्रेष्ठ-साहित्य में इनकी रचनाएँ परिगणित होने लगेगी।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि सार्थक वयंग्य वह है, जो अपने अंत में आँखों में आँसू भर दे। हास्य-व्यंग्य में महत्त्वपूर्ण स्थान अर्जित कर रहे श्रीकांत व्यास एक परिश्रमी लेखक हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम तिवारी ने कहा कि लेखक श्रीकांत व्यास घुमक्कड़ साहित्यकार हैं। घुमक्कड़ी-वृत्ति इन्हें हास्य-व्यंग्य की पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कराती है। व्यंग्य-लेखन सरल नहीं है। साहित्य की यह एक कठिन विधा है। श्री व्यास इस कठिन-कर्म में लगे हैं, जो प्रशंसनीय है।
कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए लेखक श्री व्यास ने कहा कि हिन्दी का यह व्यंग्य उपन्यास पाठकों को रोमांचित करेगा ऐसा मेरा विश्वास है। अविराम लिख रहा हूँ। नए साल में भी दो पुस्तकें आ जाएँगी। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा अशोक कुमार आनन्द , बलराम प्रसाद सिंह, ई अवध बिहारी सिंह, चंदा मिश्र आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए और लेखक को बधाई दी।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में, डा विद्या चौधरी ने 'मैं कहाँ', कमल किशोर वर्मा 'कमल' ने 'भला आदमी', जय प्रकाश पुजारी ने 'आम का पल्लव', डा पंकज वासिनी ने 'सींचो नीव', कैलाश ठाकुर ने 'आम्रपाली', अर्जुन प्रसाद सिंह ने 'पागल', अरविंद अकेला ने 'ठेंगा' , ई अशोक कुमार ने 'बुढ़ापा' तथा नरेंद्र कुमार ने 'समझौता' शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया।मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, प्रो राम ईश्वर सिंह, अधिवक्ता अशोक कुमार, युगेश कुशवाहा, नन्दन कुमार मीत, मनोज कुमार सौमित्र, चंदन तिवारी, अमन वर्मा, मो फ़हीम, मनीष कुमार, मयंक कुमार मानस, स्मृति कुमारी आदि प्रबुद्धजन समारोह में उपस्थित थे।
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