गुमनाम शहीदों की गुमनाम कहानी से ही आज हिंदुस्तान का अस्तित्व है : डॉ राकेश कुमार आर्य

गुमनाम शहीदों की गुमनाम कहानी से ही आज हिंदुस्तान का अस्तित्व है : डॉ राकेश कुमार आर्य

अशोक विहार ( नई दिल्ली ) यहां स्थित आर्य समाज मंदिर अशोक विहार फेस 3 का वार्षिक सम्मेलन बड़े हर्ष और उल्लास के साथ संपन्न हो गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि गुमनाम शहीदों की गुमनाम कहानी से ही आज हिंदुस्तान का अस्तित्व है। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि देश के लाखों करोड़ों गुमनाम शहीदों को एक षड्यंत्र के अंतर्गत देश की कांग्रेस की सरकारों ने गुमनामी के गहरे अंधकार में धकेल दिया। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि जिन शहीदों के बलिदान को याद करके देश को आगे बढ़ना चाहिए था उनके साथ इतनी बड़ी गद्दारी कर दी गई।
डॉ आर्य ने कहा कि भारत संपूर्ण भूमंडल की संस्कृति का पालना है। इसकी वैदिक संस्कृति वैश्विक संस्कृति होने का गौरव रखती है। क्योंकि इसी संस्कृति को अपना कर संपूर्ण संसार में शांति स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज सारे संसार में जितने भर भी दंगे फसाद हो रहे हैं वे सब वैदिक संस्कृति से मुंह फेर लेने के कारण हो रहे हैं।
श्री आर्य ने कहा कि भारत के लोगों ने राजा हर्ष हर्ष के समय से लेकर राजा दाहिर सेन, राजा भीमदेव सोलंकी, राजा पृथ्वीराज चौहान, हेमचंद्र विक्रमादित्य शिवाजी और अंत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समय तक आते-आते अनेक बार 'आजाद हिंद फौज' का गठन कर देश की संस्कृति की रक्षा की है। डॉ आर्य ने कहा कि यहां पर राजा विक्रमादित्य जैसे शासक हुए हैं जिनका संपूर्ण यूरोप और एशिया पर शासन हुआ करता था। इसी प्रकार ललितादित्य का भी बड़ा विशाल साम्राज्य था। उन्होंने कहा कि अपनी इस परंपरा को निभाने के लिए भारत के राजाओं की धर्मरक्षक सेनाएं एक बार नहीं अनेक बार देश से बाहर निकली हैं। इसलिए यह कहना गलत है कि भारत की सशस्त्र सेनाएं कभी दूसरे देशों पर आक्रमण करने के लिए नहीं गई। डॉ आर्य ने कहा कि देश के वीर जवानों ने विभिन्न कालखंडों में अपने बलिदान दे देकर देश की संस्कृति और धर्म की रक्षा करने का अपना महान दायित्व बड़ी कुशलता से निभाया है।
अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सतीश कुमार चड्ढा ने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए इस समय सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का संपादन कर रही है। जिससे आर्य संस्कृति के प्रति लोगों में जागृति आए। उन्होंने उपस्थित लोगों का आवाहन करते हुए कहा कि आप सभी जागरूक रहकर ऋषि के मिशन और विजन को सफल बनाने में अपना सहयोग देते रहें। उन्होंने कहा कि इस समय जब हम सब स्वामी दयानंद जी महाराज की 200 वीं जयंती मना रहे हैं तब हमें जनजागरण के अपने महान दायित्व के प्रति अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का सफल संचालन कर रही श्रीमती अनीता ग्रोवर ने कहा कि देश धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए महिला शक्ति ने भी समय-समय पर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है । उन्होंने इतिहास की ओर संकेत करते हुए कहा कि अपाला, घोषा और मदालसा जैसी महान नारियां जहां धर्मशक्ति की प्रतीक रही है वहीं रानी लक्ष्मीबाई और नीरा आर्य जैसी महान वीरांगनाएं भी इस देश में हुई है जिन्होंने क्षत्रिय धर्म की परंपरा का निर्वाह कर मां भारती की अप्रतिम सेवा की। इस अवसर पर आर्य जगत की सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका श्रीमती कविता आर्या ने अपने देशभक्ति से ओतप्रोत भजनों की प्रस्तुति दी और उपस्थित लोगों का आवाहन किया कि वर्तमान में जिस प्रकार अनेक प्रकार के खतरा उत्पन्न हो गए हैं उन सब का मिलकर सामूहिक रूप से सामना किया जाए। कार्यक्रम में सेवानिवृत्ति मजिस्ट्रेट ओम सपरा सहित गई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर ऐसे कई गणमान्य लोगों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने जीवन में इस संस्था के माध्यम से राष्ट्र सेवा की और वेद के प्रचार प्रसार करने में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया।
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