"आलोचना: एक सकारात्मक पक्ष"

"आलोचना: एक सकारात्मक पक्ष"

 पंकज शर्मा
आलोचनाएँ हैं हमारे जीवन के लिए इक दर्पण,
जो हमें दिखाती हैं हमारी कमियाँ- कमजोरियां,
हमें उद्वेलित कर, सकारात्मक प्रेरणा भरती हैं,
उन कमियों को सुधार जीवन संवारने के लिए।

आलोचनाओं का अर्थ करना होगा हमें सुधार,
विचारों का कर विकास, सीखना और बढ़ना है।
आलोचनाओं से होता, समृद्धि का सार्थक सफर।
प्रगति के मार्ग का, है हमारा महत्वपूर्ण हमसफ़र,

आलोचनाएँ कभी बल नहीं देती, सभी ये सुनाएं,
आलोचनाएं हैं मार्गदर्शक,जो सही रास्ता दिखाएं।
हमारे इन दोषों का निराकरण तभी हम कर पाएं,
आलोचनाओं को सकारात्मकता से सुनते जाएं।

आलोचना सबंल नहीं देती, सच है कुछ हद तक,
लेकिन हमारे आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती।
आलोचनाओं के सही आंकलन का काम हमारा,
सफल वही आलोचनाओं पश्चात् खुद को संवारा।

आलोचनाएँ इस जीवन की एक मूलभूत जरूरत,
जो हमें आगे बढ़ने की देती है हिम्मत और ताकत,
और हमें एक बेहतर और सफल इंसान बनाती हैं।
जो इंसान को समाज में उचित स्थान दिलाती हैं।

आओ चुपचाप सुनो ये आलोचनाओं की आवाज़ें,
सीखो उनसे एवं बदलो तुम अपने जीवन की राहें,
क्योंकि दूसरों द्वारा आलोचनाएँ,इक कटु गरल है,
इससे विकास - सम्मान, समाज में होता सरल है।

स्वरचित एवं मौलिक 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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