आतंकवाद का खुला समर्थन कर लोकतंत्र की रक्षा की बात बेमानी-----------डॉक्टर विवेकानंद मिश्र |

आतंकवाद का खुला समर्थन कर लोकतंत्र की रक्षा की बात बेमानी:-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र |

उग्रवाद- आतंकवाद के विचारों का वैचारिक समर्थन देना भी लोकतंत्र की रक्षा के लिए मेरी समझ से घातक है, विनाशकारी है। महात्मा गांधी के इस अहिंसावादी देश में भी अनियंत्रित धर्मांधता और जिहाद के नाम पर भड़काऊ भाषणबाजियाँ समाज को गलत दिशा में ले जाकर मानव समाज को विनाश के कगार पर खड़ा कर देती है। हमारे यहां लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में मानवीय विवेक की जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं आधुनिकतम उत्तम खोज की गयी है, वह मानवता के व्यापक हित में है। विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर नफरत, हिंसा, उन्माद, अराजकता फैलाकर आखिर किस संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की बात तथाकथित राष्ट्रवादी लोग कर रहे हैं? आश्चर्य है। अब तो और भी चिंतित करने वाली बात है, क्योंकि केवल व्यक्ति या व्यक्तियों में ही उपर्युक्त अमानवीय कृत्य सीमित नहीं रहे। अब तो अनेक देशों में विभिन्न नाम से योजनाबद्ध रूप से खुलेआम संगठन बनाकर लगभग 60 की संख्या में आतंकवादी संगठन विश्व- व्यापक तहलका मचाने वाले आतंकवाद, अराजकता की स्थिति पैदा करना चाह रहे हैं‌ जो मानवीय चिंता का गंभीर विषय है। इसे मानवता की रक्षा, देश के संविधान की रक्षा के लिए आंदोलन की संज्ञा दी जा रही है। यह कदम किसी भी दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता। वामपंथी, कट्टरपंथी विचारधारा से आज जब संपूर्ण विश्व मुक्ति चाहता है तो ऐसे में एन- केन- प्रकारेण हमारे यहां छद्मवेशी तथाकथित राष्ट्रभक्ति का चोला ओढ़ने वाले, संविधान की शपथ लेकर या भारतीय संविधान को मानने वाले गांधी, अंबेडकर, लोहिया की किस विचारधारा, उद्देश्य और सिद्धांतों को मानकर जनभावनाओं के विपरीत खौफनाक आतंकवाद का खुला समर्थन कर उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं? क्या यह सही नहीं है कि ऐसे संगठन के लोगों का एकमात्र लक्ष्य देश में अस्थिरता का वातावरण बनाना तथा किसी तरह सत्ता प्राप्ति का है? क्योंकि इन्हें लगता है कि एक खास वोट बैंक को आकर्षित करना सत्ता पर काबिज होने के लिए आवश्यक है। मुट्ठी भर लोग अपनी क्षुद्र स्वार्थ पूर्ति हेतु संपूर्ण राष्ट्र को तहस-नहस कर जन- जीवन को अस्त- व्यस्त करना चाहते हैं। हालांकि उनकी मनोकामना कभी भी पूर्ण नहीं होगी। फिर भी इन तत्वों से आम जनों को सचेत रहने की आवश्यकता है; क्योंकि ऐसी सोच के व्यक्ति या ऐसे वर्गों से न किसी व्यक्ति का, न समाज या राष्ट्र का कभी भला हुआ है, न भला होने वाला है। मानवता की रक्षा के लिए गांधी की अहिंसा को ही पूरे विश्व ने स्वीकारा है। मानवता के लिए सबसे उत्तम मार्ग भी यही है।
ऐसे में गांधी के इस देश में हिंसा-उग्रवाद कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। अब समय आ गया है, राष्ट्रभक्तों एवं मानवतावादियों को एकजुट होकर आगे आने का, समाज -संचालन का, अपना दायित्व समझकर समाज, राष्ट्र एवं मानवता को बचाने का।
उक्त बातें विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक तथा कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विवेकानंद मिश्र "आतंकवाद, उग्रवाद के बढ़ते स्वरूप में संविधान एवं जनतंत्र की रक्षा में सामाजिक -राजनीतिक संगठनों और राष्ट्रवादियों की भूमिका और समस्याओं के निराकरण के लिए आपका सुझाव" पर पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। उल्लेखनीय है कि डॉक्टर विवेकानंद मिश्र जाने-माने सामाजिक चिंतक और समाजसेवी भी हैं।
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