"मृत्यु एक अकाट्य सत्य"
मृत्यु , वह अटल सत्य है,जिससे कोई नहीं है बचा,
जीवन का ये अंत है मृत्यु ,
यह सत्य है, सबको है पता।
अनंत अंधकार में खोया हुआ,
जीवन का अंतिम पड़ाव,
जहाँ कोई नहीं है,
सिर्फ एकांत और अज्ञात।
जीवन का यह कटाव,
जिससे कोई नहीं बच सकता,
इक अकाट्य सत्य है मृत्यु,
यह तो सबका है अंतिम पड़ाव।
मृत्यु का कोई समय नहीं,
दबे पांव आती है मृत्यु,
जब और जैसे लिखी है,
उसी समय जीव पहुंचता है वहीं
मृत्यु के बाद क्या होता है,
यह कोई जानता है नहीं,
लेकिन यह निश्चित है,
कि मृत्यु के बाद जीवन है कहीं।
मृत्यु तो एक यात्रा है,
एक नए जीवन की ओर,
यह यात्रा हम सब को करनी है,
दिन हो या रात या फिर हो भोर।
मृत्यु को स्वीकार करें,
और लें जीवन का आनंद,
मृत्यु तो है एक स्वाभाविक प्रक्रिया,
इससे न हो जीवन की गति मंद।
स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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