आर्य समाज अशोक विहार से फूटा राष्ट्र धर्म और संस्कृति का चिंतन : राष्ट्र जागरण में रहा है आर्य समाज का विशेष योगदान : विधायक राजेश गुप्ता

आर्य समाज अशोक विहार से फूटा राष्ट्र धर्म और संस्कृति का चिंतन : राष्ट्र जागरण में रहा है आर्य समाज का विशेष योगदान : विधायक राजेश गुप्ता


नई दिल्ली। यहां स्थित आर्य समाज अशोक विहार की ओर से आयोजित किए गए चार दिवसीय चारों वेदों के यज्ञ में विभिन्न विद्वानों के माध्यम से राष्ट्र धर्म और संस्कृति पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया । स्थानीय विधायक श्री राजेश गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि आर्य समाज का राष्ट्र जागरण में विशेष योगदान रहा है । इस संस्था ने अनेक क्रांतिकारी पैदा किये जिन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर राष्ट्र को आजाद करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यज्ञ के ब्रह्म रहे राजू वैज्ञानिक ने निरंतर प्रत्येक सत्र में उपस्थित धर्म प्रेमी राष्ट्र प्रेमी सज्जनों का मार्गदर्शन करते हुए राष्ट्र और धर्म के प्रति गहन चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वेद का आदर्श और उत्कृष्ट चिंतन राष्ट्र और धर्म को अन्योन्याश्रित संबंध के साथ समन्वित करता है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति राष्ट्र और धर्म दोनों को समान रूप से लेकर चलती है । इसलिए भारत जैसे देश के लिए धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत पूर्णतया अमान्य है । उन्होंने कहा कि धर्महीन व्यक्ति कर्तव्य हीन होता है और जो कर्तव्य हीन हो जाता है उसका जीवन निरर्थक और दूसरों पर बोझ बन जाता है।आज की अधिकांश समस्याओं का कारण यही है कि व्यक्ति को धर्म का वास्तविक स्वरूप नहीं समझाया जा रहा है।
श्री वैज्ञानिक ने कहा कि वेद धर्म की व्यवस्था कर संपूर्ण सृष्टि को व्यवस्था के अंतर्गत लाने का श्रेष्ठ मार्ग बताता है। यदि आज हम धर्म की व्यवस्था के अंतर्गत अपने आप को लाकर स्थापित कर लें तो विश्व शांति बड़ी शीघ्रता से स्थापित हो सकती है।
इस अवसर पर भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत के इतिहास का विलुप्तिकरण करने वाले पापी इतिहासकारों ने भारत के वीर वीरांगनाओं के साथ घोर अन्याय किया है। उन्होंने कहा कि निरर्थक रूप से ऐसे इतिहासकारों ने कबीर दास जी के देहांत के बारे में भी यह भ्रांति फैली दी कि जब वह मृतक हुए तो उनके मृत शरीर के फूल बन गए थे । जबकि इस सत्य को छिपा लिया गया कि उस समय रीवा के राजा वीर सिंह बाघेला और उनके सेनापति ढमेलचंद व उनके साथी कीर्तिमल और भीमपाल ने अपने अनेक बलिदान देकर उनके मृत शरीर का अंतिम संस्कार वैदिक विधि विधान से किया था।
डॉ आर्य ने कहा कि हमारे अनेक वीर वीरांगनाओं ने विभिन्न कालों में चोटी और जनेऊ की रक्षा के लिए ऐसे अनेक बलिदान दिए जिनसे धर्म संस्कृति की रक्षा हो पाना संभव हुआ। आज भी राष्ट्र को बचाने का काम वही लोग कर रहे हैं जो राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने को तत्पर है। डॉ आर्य ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की तभी रक्षा हो पाती है जब वहां के निवासी अपने मौलिक राष्ट्र चिंतन के प्रति समर्पित होकर काम करते हैं । अतः भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए वेद का राष्ट्र चिंतन और धर्म चिंतन आवश्यक है। जिसे प्राचीन काल से मंदिर ही देते आए हैं। आज भी ऋषि दयानंद जी की 200 वीं जयंती के अवसर पर आर्य समाज मंदिरों से ही राष्ट्र धर्म और संस्कृति का चिंतन निकल रहा है। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय वैदिक विद्वान डॉ महेश विद्यालंकार ने अपना मार्गदर्शन देते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए वेद का आदर्श राष्ट्रवाद और धर्म चिंतन अपनाना समय की आवश्यकता है । इसी प्रकार बहन संगीता आर्या ,वसुधा आर्या ,कविता आर्या के द्वारा भजनोपदेशन के माध्यम से विभिन्न विषयों को बड़ी गंभीरता, सरलता और सुरीले भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। अंतिम सत्र की अध्यक्षता डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा की गई और कार्यक्रम का सफल संचालन यहां के पूर्व प्रधान रहे श्री प्रेम सचदेवा जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आर्य समाज के प्रधान श्री राकेश खुल्लड़ , श्रीमती आशा भटनागर, मंत्री श्री जीवनलाल आर्य, विजय अरोड़ा, कोषाध्यक्ष सुधीर सक्सेना, विजय जिंदल, किरण आनंद उप प्रधान विक्रांत चौधरी, किशोर आर्य आदि का विशेष योगदान रहा।
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