सावधान ! इस गणेशोत्सव में गणेशजी के साथ कहीं हलाल उत्पाद को हमारे घर नहीं आ रहे हैं न ?

सावधान ! इस गणेशोत्सव में गणेशजी के साथ कहीं हलाल उत्पाद को हमारे घर नहीं आ रहे हैं न ?

प्रस्तावना : आज के समय में भारतीयों पर ‘हलाल जिहाद’ का गंभीर आर्थिक संकट मंडरा रहा है । हलाल की संकल्पना अब पहले जैसी केवल मांस तक ही सीमित नहीं रही है, अपितु अनेक शाकाहारी पदार्थों, अनाज, खाद्य तेल, सूखा मेवा, मिठाई, चॉकलेट, ठंडे पेय आदि उत्पाद भी हलाल प्रमाणित किए जा रहे हैं । प्रत्येक क्षेत्र में फैलते जा रहे इस घातक हलाल षड्यंत्र से अब हिन्दुओं के पवित्र त्योहार-उत्सव भी अछूते नहीं रहे हैं । गणेशोत्सव के समय में हिन्दू श्रद्धालु श्री गणेश के स्वागत के लिए, उन्हें भोग लगाने के लिए मिठाई तथा अन्य विभिन्न पदार्थ बाजार से खरीदते हैं; परंतु वही भोग उक्त बताए अनुसार ‘हलाल’ प्रमाणित हो, तो...? उसके कारण एक सर्वसामान्य नागरिक के रूप में क्या इस गणेशोत्सव में गणेश जी के साथ कहीं हलाल उत्पाद तो हमारे घर नहीं आ रहे हैं न ? तथा एक श्रद्धालु के नाते हमारी पूजा सामग्री, श्री गणेश का प्रसाद, खाद्य पदार्थ आदि ‘हलाल प्रमाणित तो नहीं हैं न ?’, इसकी आश्वस्त करें ।

समानांतर इस्लामी अर्थव्यवस्था का खडा होना ! :

हलाल जिहाद के माध्यम से राष्ट्र विघातक शक्तियों ने अपनी एक भिन्न अर्थव्यवस्था खडी की है तथा उसके माध्यम से भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । भारतीय अर्थव्यवस्था को समानांतर अर्थव्यवस्था चलाकर देश को खोखला बनाने का प्रयास किया जा रहा है । भारत सरकार के भारत सरकार के ‘एफ्.एस्.एस्.ए.आई.’ एवं ‘एफ्.डी.ए.’ जैसे खाद्य पदार्थों का प्रमाणीकरण करनेवाले सरकारी विभागों के होते हुए भी ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ के द्वारा समानांतर इस्लामी अर्थव्यवस्था खड़ी की जा रही है । पूर्व में केवल मांस तक सीमित मूल ‘हलाल’ की यह इस्लामी संकल्पना आज अनाज, मिठाई, सौंदर्य प्रसाधनों, शाकाहारी पदार्थों, औषधियों, पर्यटन, चिकित्सालयों, इमारतों, होटल, जालस्थलों आदि प्रत्येक क्षेत्र में लागू की गई है । आज के समय में मैकडोनल्ड्स’, ‘केएफ्सी’, ‘बर्गरकिंग’, ‘पिज्जा हट’ जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान हिन्दू, जैन, बौद्ध, सीक्ख जैसे गैर-मुसलमान समाज को अनिवार्य रूप से ‘हलाल सर्टिफाइड’ पदार्थ बेच रहे हैं । 15 प्रतिशत मुसलमानों के लिए 80 प्रतिशत हिन्दू समाज पर हलाल व्यवस्था थोपी जा रही है ।

हलाल प्रमाणीकरण से मिलने वाले पैसों का उपयोग आतंकियों की कानूनी सहायता करने के लिए किया जा रहा है । उसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ एक बडा संकट बन गई है । कुछ ही दिन पूर्व भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने ‘जमियत-उलेमा’ संगठन को आधिकारिक रूप से ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ प्रदान करने की अनुमति देने वाला नोटिफिकेशन जारी किया है । यदि यह लागू हुआ, तो अब चल रही अघोषित हलाल अनिवार्यता आधिकारिक हो जाएगी । आज हलाल सर्टिफिकेट के भी आगे बढ़कर ‘इस्लामिक कॉईन’ जारी किया गया है । ‘हलाल शेयर मार्केट’ आरंभ हुआ है । हलाल प्रमाणपत्र चाहिए हो, तो संबंधित कंपनियों में 2 मुसलमान मौलानाओं को ‘हलाल इंस्पेक्टर’ के पद पर नियुक्त कर उन्हें वेतन देना पडेगा । भारतीय अर्थव्यवस्था को टिकाए रखना हो, तो हलाल अनिवार्यता का विरोध किया जाना चाहिए ।

गणेशोत्सव को हलाल मुक्त बनाने के लिए ...

गणेशोत्सव एक बडा उत्सव है । लोकमान्य तिलक जी ने जन जागरण करने के उद्देश्य से सार्वजनिक गणेशोत्सव का आरंभ किया । इस उद्देश्य को साध्य करने के लिए गणेशोत्सव मंडल दिखावटी, फ्लेक्स प्रदर्शनियों, व्याख्यानों, हस्तपत्रकों आदि माध्यम से ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ के विषय में जन जागरण कर सकते हैं । इसके संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘देश की अर्थव्यवस्था पर नया आक्रमण : हलाल जिहाद ?’ ग्रंथ भी प्रकाशित किया गया है । एक सर्वसामान्य श्रद्धालु के रूप में हम व्यक्तिगत स्तर पर भी जनजागरण करें, साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने के लिए सतर्क रहकर वस्तुओं की खरीद करें ।

हलाल जिहाद - आर्थिक स्‍तर का युद्ध : अर्थ संपन्न व्यक्ति को ही राजतंत्र में प्रभावशाली माना जाता है, साथ ही आर्थिक संपन्नता के कारण ही अमेरिका, इंग्लैंड आदि देशों को विकसित कहा जाता है । इसीलिए अर्थकारण महत्त्वपूर्ण होता है । ऐसी स्थिति में विश्व का विनाश करने में प्रयासरत जिहादियों के नियंत्रण में यदि यह अर्थव्यवस्था जाएगी, तो ...? इसके लिए हलाल अर्थव्यवस्था का विरोध किया जाना आवश्यक है । हलाल जिहाद आर्थिक स्तर का युद्ध ही है; इसलिए इस ‘आर्थिक जिहाद’ का प्रतिकार करना आवश्यक है । केवल हलाल मुक्त गणेशोत्सव नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा भारत को हलाल मुक्त बनाने के लिए प्रयास किए जाना समय की मांग है ।
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