तुलसी की रचनाओं में जन व मन दोनों की प्रधानता,गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई

तुलसी की रचनाओं में जन व मन दोनों की प्रधानता,गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई गई


हमारे दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर
औरंगाबाद,(दिव्य रश्मि),जिला मुख्यालय में ब्लॉक मोड़ के समीप रोटरी क्लब के सभागार में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन,औरंगाबाद के तत्वाधान में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की 526वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया जबकि कुशल संचालन प्रख्यात कवि धनंजय जयपुरी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मानस प्रवक्ता रामाशंकर मिश्रा,ब्रजेश्वर मिश्र,डॉ. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, डा. शिवपूजन सिंह, जिला विधिक संघ के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रामानुज पांडेय,डॉ. सी. एस.पांडेय,समाजसेवी शंभू नाथ पांडेय एवं डॉ. रामाधार सिंह ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
सर्वप्रथम उनके तैल चित्र पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित किया तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों का स्वागत मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया।
संबोधन के क्रम में डॉ शिवपूजन सिंह ने कहा कि रामचरितमानस में संस्कार की चर्चा हमें जीवन को उत्कर्ष पर पहुंचा सकती है ।डा. रामाधार सिंह ने कहा कि रामचरितमानस में सात कांड मस्तिष्क के साथ प्रभेदों को संपोषित है। रामानुज पांडेय ने कहा कि जब भारतीय संस्कृति की ह्रास हो रही थी तो तुलसीदास का अवतरण हुआ तत्पश्चात हमारी संस्कृति बची। शशि बाला सिंह ने माता कौशल्या के चरित्र का वर्णन किया तो रसिक बिहारी सिंह ने रामचरितमानस को राम की अंतर्मन की कथा कहा। अवध किशोर मिश्रा ने आंचलिक भाषा में इसे प्रस्तुत किया अधिवक्ता अनिल सिंह ने राम काव्य को जन-जन का काव्य बताया। सुषमा सिंह ने काव्य पाठ के माध्यम से तुलसीदास के जीवन का वर्णन किया। शम्भू नाथ पांडेय ने कहा कि राम के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता।सुमन अग्रवाल ने रामचरितमानस को संस्कृति का ग्रंथ बताया।डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद मिश्रा ने कहा कि तुलसी की रचना जन-मन की रचना है और यह भारतीय जनमानस में रोपी गई है। इतने वर्षों के बाद भी तुलसी आज भी प्रासंगिक हैं।बृजेश्वर मिश्र ने तुलसी के जीवन पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि राम कथा में डूबने वाला इंसान सर्वोच्चता को प्राप्त हो जाता है। मानस प्रवक्ता रामाशंकर शास्त्री ने कहा कि रामचरित मानस एक जीवन शैली है ।जीवन के समस्त सार तत्वों का रूप है। जीवन को बदलना है तो रामचरितमानस का पाठ कीजिए । अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि पाठृयक्रम में रामचरितमानस को हमेशा सम्मिलित किया जाना चाहिए। जयंती समारोह के मौके पर बैजनाथ सिंह,लालदेव सिंह,राम सुरेश सिंह, सिंहेश सिंह,मुरलीधर पांडे,डॉ. संजीव रंजन, जनार्दन मिश्र जलज, राम भजन सिंह,लवकुश प्रसाद सिंह,नागेंद्र प्रसाद केसरी एवं विनय मामूली बुद्धि सहित अन्य उपस्थित थे।
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