सुविख्यात समाजसेवी और स्वच्छता अभियान के सूत्रधार पद्मभूषण डा विन्देश्वर पाठक का दिल्ली AIIMS में निधन|

सुविख्यात समाजसेवी और स्वच्छता अभियान के सूत्रधार पद्मभूषण डा विन्देश्वर पाठक का दिल्ली AIIMS में निधन|

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मभूषण बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को दिल्ली AIIMS में निधन हो गया है। वे 80 साल के थे। सुबह सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें AIIMS ले जाया गया,जहां उनका निधन हो गया।

डॉ. पाठक को 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली के महावीर इनक्लेव स्थित सुलभ ग्राम में उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद दिल्ली में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। बिंदेश्वर पाठक मुल्ता: बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले थे।

डॉ. पाठक ने 1968 में डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय का आविष्कार किया था | भारत में मैला ढोने की प्रथा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बिंदेश्वर पाठक ने देश में स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका निभाई। देश में शौचालय निर्माण विषय पर उन्होंने बहुत शोध किया। डॉ. पाठक ने सबसे पहले 1968 में डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय का आविष्कार किया, जो कम खर्च में घर के आसपास मिलने वाली सामग्री से बनाया जा सकता है।

यह आगे चलकर बेहतरीन वैश्विक तकनीकों में से एक माना गया। उनके सुलभ इंटरनेशनल की मदद से देशभर में सुलभ शौचालयों की शृंखला स्थापित की। 
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के , अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपने शोक संदेश में कहाकि सुविख्यात समाजसेवी और स्वच्छता अभियान के सूत्रधार पद्मभूषण डा विन्देश्वर पाठक के निधन से दुःखी हूँ । गत ११ अगस्त को ही एक सारस्वत आयोजन में हम साथ में मंचस्थ थे। मेरे प्रति आदरयुक्त स्नेह रखते थे। ऐसे झटके से निकल जाएँगे, सोचा न था । मुझसे वादा किया था कि अगले किसी आयोजन में साहित्य सम्मेलन आना चाहेंगे । अब यह हो न सकेगा ! उनके निधन से एक महान उदार और आस्थावान सदपुरुष को हमने खो दिया है। वे पीड़ित समुदाय के महान उद्धारक के रूप में जाने जाते रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और सद्गति प्रदान करें |
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