नारी तू कमजोर नहीं
नारी तू कमजोर नहीं ,तेरी शक्ति का छोर नहीं ।
अंतर्मन झांककर देख ,
तेरी अंतर्बल थोड़ नहीं ।।
तेरे अंदर है चोर नहीं ,
चोर मचाता शोर नहीं ।
एक बात रखना याद ,
चोर का होता भोर नहीं ।।
मसल दुष्टों को क़दमों से ,
छद्म का बदला छद्मों से ।
नारी तुम मत घबराना ,
तेरे संग जन हैं पद्मों से ।।
तेरा हथियार है तेरे पास ,
नर का तुम करो न आस ।
परिचित हैं धोखा करता ,
परिचित पे न कर विश्वास ।।
परिजन मानो परिचित नहीं ,
परिजन ही शुभचिंतक कहीं ।
अधिक विश्वास धोखा देता ,
परिजन संग तुम रहो वहीं ।।
पूरी आजादी मन से निकाल ,
तेरी विवशता तुम हो नारी ।
तेरी ताक में गीद्ध बाज ढेरों ,
नारीपन ही है तेरी लाचारी ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार
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