हिन्दुओं का अहंकार तोड़ने के लिए मिलेगा विदेशियों और विधर्मियों का साथ

हिन्दुओं का अहंकार तोड़ने के लिए मिलेगा विदेशियों और विधर्मियों का साथ

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
कर्नाटका में भाजपा को वोट न देकर हमने मोदी का अहंकार तोड़ दिया। ये हमने कोई पहली बार नहीं किया है, इतिहास गवाह है कि इसी तरह पहले भी हमने हिन्दुओं को साथ न देकर बड़ों-बड़ों का अहंकार तोड़ा है।
एक समय सिंध के हिन्दू राजा दाहिर के अहंकार को तत्कालीन अफगानिस्तान और राजस्थान के हिन्दू राजाओं ने ख़त्म किया था। जबकि राजा दाहिर ने सहायता के लिये उन राजाओं को पत्र लिखा था, लेकिन दाहिर के अहंकारी होने के कारण उनका साथ देने कोई भी राजा नहीं आया था। अहंकार के कारण राजा दाहिर मारा गया। अब यह अलग बात है कि राजा दाहिर की मृत्यु के बाद से सिंध में हिन्दुओं का निरंतर पतन होता रहा और आज अफगानिस्तान पूर्णतः इस्लामिक राष्ट्र है।
उसी तरह मुहम्मद गोरी के आक्रमण के समय भी पृथ्वीराज चौहान का साथ न देकर उसके अहंकार को तोड़ा था। अब ये अलग बात है कि बाद में गोरी ने जयचंद को भी कुत्ते की मौत मारा था।
मेवाड़ वालों को भी अपनी बहादुरी का बड़ा अहंकार था। जब खिलजी ने मेवाड़ को घेर लिया तब पूरे राजपूताने से किसी ने भी साथ नहीं दिया और रावल रतन धोखे से मारे गये।
राणा सांगा ने जब लोधी को कैद किया था, तब उनके अहंकार को तोड़ने के लिये डाकू बाबर को बुलाया गया। युद्ध में किसी ने राणा सांगा का साथ नहीं दिया था, उनका सेनापति तीस हजार सैनिकों के साथ मारा गया, राणा सांगा का अहंकार भी टूट गया। लेकिन लोधियों को भी मुगलों की गुलामी करनी पड़ी, मन्दिर तोड़े गए, स्त्रियां लूटी गई मुगलों के हाथ।
मराठे भी बड़े प्रतापी थे, उन्होंने मुगलों को छक्का छुड़ा दी थी। लेकिन उनको भी बहुत अहंकार था। मुगल हारने के बाद अफगानिस्तान से अमहद शाह अब्दाली को बुलाया था, पानीपत के मैदान में अब्दाली की सेना तो रसद मिलती रही, पर मराठों को किसी ने भी रसद नहीं भेजी थी, क्योंकि मराठों का अहंकार तोड़ना था। भूखे पेट मराठे कब तक लड़ते, लेकिन फिर भी वे लोग लड़ते रहे, मरते रहे और अंत में हार गये। उस समय महाराष्ट्र का कोई ऐसा घर नहीं बचा था जिसका कोई बेटा उस युद्ध में शहीद न हुआ हो, लेकिन अहंकार तो मराठों का आखीर टूट ही गया।
न जाने कितनी बार हमने समय पर साथ न देकर हिन्दुओं के पुनरुत्थान की मुहिम के लिए की जाने वाली लड़ाईयों/ प्रयासों में अपनों के अहंकार को तोड़ा है, तो भला आज हम नरेन्द्र मोदी को भी नीचा दिखाने बिना कैसे रहेंगे। भले ही हमें इसके लिये गोरियों, मुगलों, अब्दालियों या फिर इटली, पाकिस्तान और चीन की मदद ही क्यों न लेनी पड़े और देश को उनके हाथों गिरवी क्यों न रखना पड़े... आखिरकार मोदी का अहंकार भी तो हमें ही तोड़ना है।
अब इस महान कार्य को अंजाम देने का बीड़ा उठाया है काँग्रेस, तृणमूल, लेफ़्ट, सपा, बसपा, राजद, ऐआइऐमआइऐम, शिवसेना,एनसीपी, डीएमके, राजद, जदयू और अन्य पार्टी। जो कभी भाजपा (नरेन्द्र मोदी) के साथ थे, वे भी आज नरेन्द्र मोदी के विरोध में विपक्षियों की गठबंधन बनाने में लगे हैं। यह निश्चित है कि विपक्षियों के ऐसे महान काम को पूरा करने में, इन सभी को, नि:संकोच विदेशियों और विधर्मियों का, साथ भरपूर मिलेगा।
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