जलवायु परिवर्तन विषयक जागरूकता शिविर सह सेमिनार का हुआ आयोजन

जलवायु परिवर्तन विषयक जागरूकता शिविर सह सेमिनार का हुआ आयोजन

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खबर
पटना जिला के बिहटा प्रखंड स्थित कोरहर ग्राम में अवस्थित "रामचंद्र सिंह सभागार" में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सोमवार को पटना महिला बाल युवा केन्द्र के तत्वाधान में जलवायु परिवर्तन विषयक जागरूकता शिविर सह सेमिनार का आयोजन सम्पन्न हो गया।
उपस्थित सभी प्रतिभागियो ने सामूहिक रूप से अपने जन्मदिन पर एक एक्ट पौधा लगाने और पॉलीथिन के थैला का उपयोग नहीं करने का शपथ लिया।
सेमिनार का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध समाज सेविका प्रभावती देवी ने कहा कि पूरी दुनियां में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। विश्व भर में बढ़ रहे प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव और अन्य मानव जाति के हित मे पर्यावरण से जुड़े मुद्दो के बारे मे लोगों को अवगत कराना ही इस आयोजन का उद्देश्य है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई हैं, जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं ।
"हमें याद रखना चाहिए कि प्रकृति ने इंसान को पैदा किया और अपने अस्तित्व के लिए इंसान को उसकी जरूरत है। प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं।"
श्री सुरेश ने कहा कि इसी तरह वर्ष 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान' (Solutions to Plastic Pollution) रखी गई है, जिसका उद्देश्य प्रकृति को प्लास्टिक मुक्त बनाना और पर्यावरण को बचाना है। बदलते समय में जहां प्लास्टिक के सामानों, थैलियों का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है, अत: प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए ही इस बार की थीम (थीम का अर्थ जीवन के बारे में महत्वपूर्ण सबक हैं जो पाठक एक ठोस तरीके से जुड़ सकते हैं) रखी गई है। साथ ही इसे ऐसा भी समझा जा सकता है कि वन-जंगलों में अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर, उन्हें नया जीवन देना तथा जगह- जगह तालाब बनाकर वर्षा के पानी को संरक्षित करना है।
शिक्षक मनीष कुमार का कहना है प्रकृति से ही हम हैं, अत: इसके संरक्षण के लिए हमें वाहनों का प्रयोग कम से कम करके पैदल या साइकिल के अधिक उपयोग पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रदूषण को जड़ से खत्म करने के लिए हमें कट रहे पेड़ों को संरक्षित करके उन्हें काटने से रोकना चाहिए तथा हर व्यक्ति को कम से दो-दो पौधे अवश्‍य लगाना चाहिए।
उक्त अवसर पर अंजलि का कहना है हमें प्रकृति सहेजने के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए तालाब, वन, नदी, जंगल, पशु- पक्षी और पहाड़ों का संरक्षण करना चाहिए। ग्लोबल वार्मिग ओर जलवायु परिवर्तन के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाएं।
कोशिश करें कि हम अपने जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य ही लगाएंगे।
सेमिनार में लक्ष्मी का कहना है घर-घर में स्वच्छता अभियान बढ़ाएंगे, लेकिन पेड़-पौधों को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। वृक्षों को कटने से बचाने के लिए हमें पेड़ों से प्राप्त होने वाले पेपर, लिफाफे आदि की रीसाइक्लिंग करके दोबारा उपयोग योग्य बनाना चाहिए। हमें अपने चारों ओर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए तथा समय-समय पर उन्हें पानी, खाद देकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक आदि का प्रयोग कम करते हुए घरेलू तरीके से बनी खाद का उपयोग बढ़ाना चाहिए तथा मिट्‍टी, जल और वायु को दूषित होने से बचाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें पानी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। हमें प्लास्टिक की थैलियों पर निर्भर न रहते हुए पुराने कपड़े से बने झोले या थैलियों का उपयोग बढ़ाकर पर्यावरण के संरक्षण में हमारा योगदान देना चाहिए।
इसके अलावा घर के सभी सदस्यों (बच्चे, बूढ़े या जवान) को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए कूड़े-कचरे को निर्धारित जगह पर फेंकने तथा पौधों का संरक्षण करने की सीख देना चाहिए।
कार्यक्रम समन्वयक राधे श्याम ने कहा कि कहना ये बातें सिर्फ जुबानी या किताबों में न रह जाएं बल्कि हमें जीवन में उतारनी होंगी। प्रदूषण से पर्यावरण को बचाना है। पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनानी होगी। पर्यावरण के संतुलन कायम रखने से ही जीव और मानव का विकास संभव है। सोलर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ना होगा। ऊर्जा का अनावश्यक खर्च न करने की आदत डालनी होगी। जल संसाधनों की बचत करनी होगी।

सेमिनार के अन्य वक्तओ में पुजा कुमारी, पम्मी कुमारी, बलराज चौहान, आरती कुमारी प्रमुख थे।
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