परी और भंवरा

परी और भंवरा

दूर देश से आई परी ,
आकर बेड गई डाल ।
देख भंवरे की शरारत ,
हंसते हंसते बेहाल ।।
देख प्रकृति की छटा ,
मंद मंद मुस्कुरा रही ।
भंवरे को उड़ते देख ,
चकित हुए जा रही ।।
भ्रम रहा था भंवरा ,
चूसने हेतु पराग ।
बिरंगे भंवरे को देख ,
दिल होता बागबाग ।।
डाल डाल बैठ भंवरा ,
गीत भी गुनगुना रहा ।
भंवरा भी खुश दिखे ,
जैसे गाने ही सुना रहा ।।
परी खुश भंवरा खुश ,
दोनों पुलकित हो रहे ।
दूजे को खुश रखने हेतु ,
जैसे दूजे में वे खो रहे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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