उम्मीद

उम्मीद

ना किसी से तू लड़ ,
ना किसी से तू डर ।
मानव है मानवता से ,
मानव से उम्मीद कर ।।
मत तुम हताश हो ,
प्रेम का एहसास हो ।
नजरें निज चरणों पे ,
मस्तिष्क अपनत्व वास हो ।।
नहीं किसी के दास हो ,
केवल एक अरदास हो ।
राग द्वेष निकाल दिल से ,
सादर सत्कार प्यास हो ।।
सबसे एक ही आस हो ,
सब कोई सबके खास हो ।
जल प्रपंच का नाश हो ,
मधुर मिलन की त्रास हो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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