सदा ही याद रखना

सदा ही याद रखना

मां भारती के बेटे तुम ,
सदा ही याद रखना ।
मां भारती की कसम ,
तिरंगा आबाद रखना ।।
मिल जाए जो अजनबी ,
उसका हिसाब रखना ।
पता और कहानी का ,
तुम एक किताब रखना ।।
देश के इन गद्दारों को ,
मजे पडें खूब चखना ।
न माने बात यदि जो ,
तोड़ दो उसका टखना ।।
ताकि याद रखे ये दिन ,
पड़े आदमी भी परखना ।
इंसानियत को न जाए ,
तुम सदा ही याद रखना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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