एक्जिमा, साथ ही बहुतांश व्यसन का मूल है आध्यात्मिक कारण; साधना द्वारा ही उस पर मात करना संभव ! - शोधन का निष्कर्ष

फरीदाबाद में ‘सी 20’ परिषद में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से शोधनिबंध प्रस्तुत !

एक्जिमा, साथ ही बहुतांश व्यसन का मूल है आध्यात्मिक कारण; साधना द्वारा ही उस पर मात करना संभव ! - शोधन का निष्कर्ष

किसी व्यक्ति के व्यसनाधीन होने के कारण 30 प्रतिशत शारीरिक होते हैं, अर्थात व्यसनाधीन पदार्थाें पर निर्भर होते हैं, तो 30 प्रतिशत कारण मानसिक एवं 40 प्रतिशत कारण आध्यात्मिक स्वरूप के होते हैं । इसके साथ ही ‘एक्जिमा’ जैसे त्वचारोग के 30 प्रतिशत प्रकरण केवल आध्यात्मिक स्वरूप के होते हैं । ऐसे में अध्यात्मशास्त्रानुसार योग्य साधना एवं नामजप, प्रतिदिन 15 मिनट नमक के पानी में पैर रखकर उपाय करने पर व्यसन एवं विकारों पर शीघ्र मात कर सकते हैं, ऐसा प्रतिपादन ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से श्री. शॉन क्लार्क ने किया । फरीदाबाद में हुए ‘सी 20 इंटेग्रेटेड होलिस्टिक हेल्थ समिट’में ‘अध्यात्म द्वारा व्यसनाधीनता एवं एक्जिमा पर मात कैसे कर सकते हैं’, इस विषय पर शोधनिबंध प्रस्तुत करते समय वे बोल रहे थे ।
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’के शोधन गुट के सदस्य श्री. शॉन क्लार्क एवं शोधन समन्वयक श्रीमती श्वेता क्लार्क ने इस आंतरराष्ट्रीय परिषद में भाग लिया । ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक और शोधन गुट के श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं । ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ (यू.ए.एस्.) उपकरण द्वारा शोधन किया गया । इससे पूर्व 20 से 22 मार्च 2023 तक नागपुर में हुए ‘सी 20’ इन्सेप्शन कॉन्फरन्स’में भी ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’का सहभाग था ।
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