श्रीमद् भागवत भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है:-भारत भूषण जी महाराज

श्रीमद् भागवत भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है:-भारत भूषण जी महाराज

इस कलिकाल में मानवकृत समस्त पापों का शमन करने के लिए श्रीमद् भागवत कथा श्रवण के शिवा दूसरा कोई भी साधन नहीं है। यह कथा हमें मात्र जीवनकला ही नहीं सिखाती वरन् मृत्यु सुधारने का भी अचूक उपाय बताती है। जीने के लिए व्यक्ति के पास सीमित घड़ियां हैं अगर उन्हें सुधार लिया जाए तो जन्म लेने की सार्थकता सिद्ध हो सकती है। इसके श्रवण मात्र से ही हमारे जन्म जन्मांतर के समस्त विकारों का नाश हो जाता है तथा लौकिक और पारलौकिक दोनों तरह के अक्षय लाभ सुलभ हो जाते हैं। यह बात आदर्श कॉलोनी स्थित प्रोफेसर सीएस पांडेय के आवास पर हो रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में कथा मर्मज्ञ आचार्य भारत भूषण जी महाराज ने कही। श्रीमद्भागवत के निगूढ़ तत्वों का विभिन्न रूपों के माध्यम से सरल शब्दों में व्याख्या कर उन्होंने सनातन परंपरा के महत्व को रेखांकित किया। राजा परीक्षित एवं भगवान शुकदेव के संवाद एवं दिव्य वचनों को सुनकर प्रबुद्ध जन भावविभोर हो गए।
उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में मनुष्य अत्यंत ही अशांति एवं तनाव की स्थिति में जीवन बसर कर रहा है, कोइ तन की पीड़ा से व्यथित है तो कोई मानसिक उद्वेलन का शिकार। भागवत कथा श्रवण मात्र से हमारे जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं। जहां अन्य युगों में मोक्ष की प्राप्ति के लिए यज्ञ , योग, तप, जप आदि अत्यंत ही क्लिष्ट कर्म करने पड़ते हैं वहीं कलयुग में केवल कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति भवसागर को पार कर जाता है। कहा भी गया है की - "सदासेव्या सदासेव्या श्रीमद् भागवती कथा।" कथा की सार्थकता तब सिद्ध हो जाती है जब हम इसे अपने व्यवहार में धारण कर जीवन को आनंदमय, मंगलमय बना कर आत्म कल्याण का प्रयत्न करते हैं।इस अनुष्ठान में मुख्य रूप से आचार्य गोपाल पांडेय, सपरिवार सीएस पांडेय, प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, प्रो शिवपूजन सिंह, डॉ रामाधार सिंह, धनंजय जयपुरी, मुरलीधर पांडेय, सिंहेश सिंह के अलावे काफी संख्या में महिलाएं एवं शहर के प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।
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