डिजिटल इंडिया का उदय: प्रौद्योगिकी से राष्ट्र का परिवर्तन

डिजिटल इंडिया का उदय: प्रौद्योगिकी से राष्ट्र का परिवर्तन


21वीं सदी में सतत आर्थिक विकास तेज गति से तकनीकी प्रगति से प्रेरित है, जिसने हमारे जीने, काम करने और बातचीत करने के तरीके में क्रांति ला दी है। डिजिटलीकरण की दिशा में सरकार ओर से जोर दिए जाने और प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने से हाल के वर्षों में भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। 1.4 बिलियन से अधिक लोगों वाला भारत देश विश्व स्तर पर इंटरनेट का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। भारत में 800 मिलियन से अधिक इंटरनेट कनेक्शन हैं और प्रति ग्राहक औसत मासिक डेटा खपत 16 जीबी से अधिक है, जो 2014 के बाद से 266 गुना की चौंकाने वाली वृद्धि है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) परियोजना जैसी पहलों के साथ हाल के वर्षों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए भारत सरकार के प्रयास महत्वपूर्ण रहे हैं। इन कार्यक्रमों के अलावा, सरकार ने भारत में डेटा केंद्रों के विकास को सुविधाजनक बनाने और एक मजबूत दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन और राष्ट्रीय डेटा केंद्र नीति भी शुरू की है। इनके परिणामस्वरूप, व्यवसायों और लोगों को तेज इंटरनेट गति, बेहतर नेटवर्क कवरेज और डिजिटल सेवाओं तक बेहतर पहुंच का लाभ मिल सकता है।

अपने दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए, भारत ने एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है। इंडिया स्टैक भारत में आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के एक कलेक्शन से जुड़ा है। यह तीन अलग-अलग लेयर्स: विशिष्ट पहचान (आधार), पूरक भुगतान प्रणाली (एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई), आधार भुगतान ब्रिज, आधार समर्थित भुगतान सेवा) और डेटा एक्सचेंज (डिजिलॉकर और खाता एग्रीगेटर) से बना है। ये सार्वजनिक और निजी सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए ऑनलाइन, पेपरलेस, कैशलेस और गोपनीयता-संरक्षित डिजिटल पहुंच प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं।

जन धन, आधार और मोबाइल की तिकड़ी यानी जेएएम ट्रिनिटी - भारत के परिवर्तित डिजिटल भुगतान परिदृश्य के केंद्र में एक महत्वपूर्ण संबल है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है। इसे अगस्त 2014 में लॉन्च किया गया था। इसका लक्ष्य बैंकिंग सेवा से वंचित हरेक परिवार को व्यापक तौर पर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना है। जन धन खाते, आधार और मोबाइल कनेक्शन इन सभी ने डिजिटल इंडिया की स्थापना में योगदान दिया है। इसके अलावा, अनेक प्लेटफार्मों में ऑनलाइन शिक्षा, ई-मेडिसिन, फिनटेक, बेहतर कृषि पद्धतियां, अंतिम व्यक्ति तक निर्बाध सेवा का वितरण सुनिश्चित करने जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा प्लेटफार्मों का लाभ उठाया गया है। कोविन और डिजिटल सर्टिफिकेट जैसी ऑनलाइन प्रणालियों को आज दुनिया भर में सफलता की कहानियों के रूप में उद्धृत किया जा रहा है।

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) की डिजिटल क्षमता से उद्योग जगत से जुड़ी हस्तियों को भी जबरदस्त फायदा हुआ है, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी लाना और देश में औसत लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी शुरुआती बाधाओं को दूर करने और व्यापक बाजारों तक पहुंच के लिए अग्रणी है। यह ई-कॉमर्स क्षेत्र में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के रूप में दिखाई दे रहा है जो एमएसएमई के लिए उभरते अवसरों का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

सामान की तेज और कुशल आवाजाही को सक्षम करने के लिए, सरकार ने देश के लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए अत्यधिक निवेश किया है। जीपीएस ट्रैकिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और तत्क्षण निगरानी की सुविधा ने लॉजिस्टिक्स ऑपरेशंस को और अधिक पारदर्शी बना दिया है। पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मानचित्र पर देश में सभी इंफ्रास्ट्रक्चर एवं लॉजिस्टिक सुविधाओं का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म मानचित्रण का विवरण है। इसके अलावा, सरकारी सेवाओं और प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण ने व्यवसायों के लिए नियमों के अनुपालन में लगने वाले समय और पहलों को कम कर दिया है, जिससे निवेशकों के लिए भारत में अपना व्यवसाय स्थापित करना और संचालित करना आसान हो गया है।

नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) भारत सरकार की एक पहल है, जो व्यापारियों को एक ही पोर्टल के माध्यम से सभी आवश्यक दस्तावेजों और सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा करने की अनुमति देकर व्यवसायों के लिए सरकारी अनुमोदन को कारगर बनाने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करती है, जिससे कई एजेंसियों के लिए भाग-दौड़ करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है तथा मंजूरी और अनुमोदन प्राप्त करने में लगने वाले समय के साथ-साथ लागत भी कम हो गई है। एक और उदाहरण जो खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए सरकार के प्रयासों को प्रदर्शित करता है, वह है गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जीईएम), जो एक ऑनलाइन खरीद प्लेटफार्म है जिसे खरीद संबंधी गतिविधियों के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक समावेशी, कुशल और पारदर्शी, एक निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी प्लेटफार्म बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।

स्टार्टअप इंडिया पहल भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण करना है। माननीय प्रधानमंत्री ने 2016 में स्टार्टअप इंडिया लॉन्च किया था। भारत का फलता-फूलता स्टार्टअप इकोसिस्टम देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक प्रमाण है, जिसने उद्यमियों को वे उपकरण और संसाधन प्रदान किए हैं जिनकी उन्हें पारंपरिक व्यापार मॉडल के स्थान पर नए मॉडल को अपनाने में आवश्यकता है। पिछले पांच वर्षों में, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा मान्यताप्राप्त 92,683 से अधिक स्टार्टअप के साथ, भारत का स्टार्टअप परिदृश्य दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हो गया है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के लिए एक समर्पित पोर्टल भी स्थापित किया है और पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को कारगर बनाने के उपाय किए हैं।

उपभोक्ताओं और पर्यावरण की बदलती जरूरतों के साथ आर्थिक प्रक्रियाएं लगातार विकसित हो रही हैं। निकट भविष्य में, उभरती भविष्य की प्रौद्योगिकियां लगभग सभी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों का एक अनिवार्य तत्व होंगी। हमारे सामने चुनौती इन प्रक्रियाओं को और अधिक समावेशी और मानवीय बनाने की है, ताकि सामान्य व्यक्ति तक उनका लाभ पहुंच सके।

भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर "कारोबारी सुगमता के शीर्ष पर जीवन सुगमता" को बढ़ावा देने के प्रयास में जुटा है, क्योंकि इसका उद्देश्य व्यवसायों और नागरिकों दोनों को लाभान्वित करने के लिए एक समावेशी और लोकतांत्रिक परिदृश्य को बढ़ावा देना है।
लेखक श्री  राजेश कुमार सिंह, सचिव, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय है यह उनके अपने विचार है |
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