अंतिम बार मिलने आया बेटा वृद्धाश्रम

अंतिम बार मिलने आया बेटा वृद्धाश्रम


अंतिम बार मिलने आया बेटा वृद्धाश्रम में
यारों अपनी मां का कंगन चुराने के लिए


बेच चुका है जमीन गहने घर के अब वो सारे
घड़ियाली आंसू आज मां को दिखाने के लिए


लाखों कमाया है जो धन बेईमानी का उसने
कितना गिर चुका है ईमान बतलाने के लिए


छोड़ दिए हैं रिश्ते नाते मतलब की खातिर
धन की भूख मिटती नहीं बतलाने के लिए


भूल गया है बचपन की सब सुहानी सी बातें
कितना बदल गया जमाना समझाने के लिए


रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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