धर्म धरती और मानवता को कृतार्थ करने वाले महर्षि परशुराम आज भी जीवंत एवं प्रासंगिक हैं:-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

धर्म धरती और मानवता को कृतार्थ करने वाले महर्षि परशुराम आज भी जीवंत एवं प्रासंगिक हैं:-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

स्थानीय बोधगया मठ के प्रांगण में भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के तत्वावधान में महर्षि परशुराम का जयंती समारोह पूर्वक बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलित कर लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। सभा का शुभारंभ महासभा एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विवेकानंद मिश्र ने किया। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु के छठे अवतार, मानवीय करुण पुकार की उपज महर्षि परशुराम ने धरती, धर्म, और मानवता को कृतार्थ किया। जाने-माने साहित्यकार समाजसेवी राम सिंहासन सिंह ने कहा कि महर्षि परशुराम वे सकल शास्त्र के ज्ञाता, परम ज्ञानी, अत्यंत कोमल ह्रदय तथा दयालु और लोक कल्याणकारी समाज के प्रबल समर्थक थे।
आचार्य अभय कुमार पाठक ने कहाउनका वचन अद्यावधि वेदमन्त्र की भांति ब्रह्मशक्ति को जाग्रत रखने का ध्येयवाक्य है --
अग्रत: चतुरो वेदा: पृष्ठत: सशर: धनु:। शापादपि शरादपि।।
जाने-माने साहित्यकार आचार्य राधामोहन मिश्र माधव ने कहा कि महर्षि परशुरामराम जन- जन के आराध्य तो हैं ही, ब्राह्मणों के आदर्श चरितनायक भी हैं जिन्होंने अपने कठोर तप -बल द्वारा भगवान शंकर से वरदान प्राप्त कर निर्बल और निरीह प्राणियों की रक्षा के लिए शस्त्र उठाया था।
बोधगया मठके महंत त्रिवेणी गिरी ने कहा कि महर्षि परशुराम ने ही दुष्ट अत्याचारियों, आतताइयो का वध कर रामराज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया था।
मुख्य अतिथि सत्यानंद गिरी ने कहा कि महर्षि युगद्रष्टा थे जो देवत्व की दिव्य धाराओं को साधिकार धरा पर उतारने में समर्थ हुए।
प्रसिद्ध समाजसेवी भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के सचिव रुक्मिणी पाठक ने कहा जिन्हें महर्षि परशुराम को समझना होगा उन्हें उनकी लोकहितकारी भावना, उनके चिंतन और विचार को मानवता के धरातल पर व्यापक रूप से समझना होगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सिद्धनाथ मिश्रा ने कहा कि दुष्ट निरंकुश प्रवृत्तिवादियों को जड़- मूल से उखाड़ फेंककर सत्ता का हस्तांतरण मानवता के व्यापक कल्याण के लिए किया था।
आचार्य अरुण मिश्रा मधुप ने कहा कि महर्षि परशुराम महान पराक्रमी एवं युगांतरकारी महर्षि थे।
निवासी योगेंद्र मिश्रा मंटू मिश्रा मनोज देवेंद्र पाठक ने कहा कि महर्षि ने हृदयविदारक क्रूरतम अत्याचार को बड़े समीप से देखकर ही निरीह प्राणियों की रक्षा के लिए शस्त्र उठाया था।
पंडित निशीकांत एवं आचार्य अभय पाठक तथा मानवाधिकार संगठन प्रतिष्ठान के सचिव सदस्य रंजीत पाठक ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति की रक्षा में जीवन और जगत का कल्याण देखने वाले महर्षि परशुराम भगवान के अवतार थे।
देवेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि जैसे आत्मज्ञानी ऋषियों ने जगत के कल्याण की इच्छा से दीक्षा लेकर सृष्टि के प्रारंभ में जो किया उससे राष्ट्र का नवनिर्माण हुआ।
पवन मिश्रा सचिव कौटिल्य मंच ने कहा कि
राष्ट्रीय बल और ओज की प्राप्ति के लिए देश के प्रति प्रेम, समर्पण और भक्ति होना चाहिए। चूँकि व्यक्ति राष्ट्र का ही अंश होता है। आज के समारोह में बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान परशुराम की प्रतिमा पर , भगवान के चरणों पर पुष्पांजलि अर्पित कर जय हो जय हो के उद्घोष से संपूर्ण प्रांगण को गुंजायमान कर दिया। जिन प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया उन में किरण पाठक प्रोफेसर रीना सिंह पीयूष गुप्ता कविता राऊत मांडवी देवी गुर्दा नीरज वर्मा पुष्पा गुप्ता निरंजन कुमार नीलम देवी राजेंद्र कवि जलवंशी रीना कुमारी अविनाश मलदहिया दीपक कुमार अधिवक्ता सुशील कुमार अनूप कुमार पाठक धीरज कुमार भास्कर बाबा विवेकानंद वैद्य शंभू गिरी योगेश कुमार मिश्र बिपिन बिहारी मिश्र संगीता कुमारी सुमन कुमारी।महासभा एवं मंच के सचिव डॉक्टर मंटू मिश्रा ने कहा महर्षि परशुराम से प्रेरणा लेकर, समाज को संगठित कर मानवता को बचाने का प्रयास करना चाहिए, यह आज का युगधर्म है।
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धन्यवाद ज्ञापित करते हुए महंत दीनदयाल गिरी जी ने कहा कि आज प्रकृति प्रदत जल, जंगल, जमीन, धर्म और मानवता पर निरंतर कुठाराघात किए जा रहे हैं। हम मौन हैं, यह शुभ संकेत नहीं है। इसका भुक्तभोगी आने वाली पीढ़ी को होना होगा।
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