बिहार को तुच्छ न समझो

बिहार को तुच्छ न समझो

बिहार को तुच्छ न समझो ,
बिहार भी तेरा यह भाई है ।
मां भारती के तुम हो लाड़ले,
भारती ही मेरी भी माई है ।।
मांग रहा शुभकामना सबसे ,
दे दो हमें भी दिल से बधाई ।
बिहार दिवस पे हाथ मिलाएं ,
मिटा मन से नफ़रत लड़ाई ।।
एक बनें और नेक बनें हम ,
मानवता हेतु इस लड़ाई में ।
एक दूसरे को मिल बचाएं ,
कोई गिरे नहीं गहरी खाई में ।।
बह रही आज काव्य धाराएं ,
गीत गजल और कविताई में ।
बिहार दिवस आज है आया ,
द्वेष मिटाने हेतु भाई भाई में ।।
बिहार दिवस पर संकल्प लें ,
कभी हो न पाएं अनेक हम ।
चाहे जैसा भी हों हम भाषाई ,
अनेकताओं में रहें एक हम ।।
यही सबसे बिहार की अपेक्षा ,
उपेक्षा से हम बचें व बचाएं ।
अरुण दिव्यांश विनम्र विनती ,
एक मंच पर सब मिल आऊं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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