होली

होली

सृष्टि सृजन से ही होता आया, सदैव देव-असुर संग्राम
होली याद दिलाती है, जिसे वर्ष प्रति वर्ष अविराम
पा कर देवों से ही शक्ति असीमित, मचाते हैं असुर कोहराम
तब विधाता को करना पड़ता है, उनका काम तमाम
हिरण्यकश्यप से बनते अभिमानी,होलिकायें भी करतीं हैं सहयोग
प्रहलादों को सताया जाता,तब ही बनता है श्री हरि जन्म का योग
असुर जिनसे पाते हैं वरदान, सदा उन पर ही करते हैं प्रयोग
पर बनाने वाले से टकराने पर, पाते हैं नाश रोग वियोग
इसलिए ही कुकर्मों, घमंड,पाप को, पहले जलाया जाता है होली में
फिर रंग भरते गुलाल उड़ाते, उल्लास से सरोबार होते होली में
धूम-धाम से गुजियां पकवान, बनाते खाते हैं होली में
दुश्मन को भी मित्र बनाते, नाचते गाते,ठंडाई पीते होली में
सृष्टि सृजन से ही होता आया, सदैव देव-असुर संग्राम ......
होली याद दिलाती है जिसे वर्ष प्रति वर्ष अविराम.........
जय नरसिंह भगवान की
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
(ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक)
अहमदाबाद, गुजरात
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