एक दिवस महिलाओं का,

एक दिवस महिलाओं का,

कुछ महिलाओं ने लिखा कि एक दिन महिला दिवस बनाकर 364 दिन गुलामी की तैयारी-----
एक दिवस महिलाओं का, तब तो इतना भारी है,
सम्पूर्ण वर्ष उनके हमलों से, बचने की तैयारी है।
होते अगर दो चार दिवस, सोचो तब कैसे कटते,
तभी बुजुर्गों ने बोला है, नर पर नारी सदा भारी है।
एक अकेली पत्नी लाने, दुल्हे स़ंग सौ बाराती जाते,
आ जाती घर बनकर शेरनी, शिकार की तैयारी है।
अब आगे की बात सुनो, बारात लिए खुद आ जाती,
घर में घुसकर विवाह करे, फिर कैसे वह बेचारी है?

अ कीर्ति वर्द्धन
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