सूख गया आंख का पानी

सूख गया आंख का पानी

सूख गया आंख का पानी दिल धड़कना बंद हुआ।
आना-जाना रिश्तो में भी अब धीरे-धीरे बंद हुआ।


कलह खड़ी है घर के द्वारे स्वार्थ छाया चारों ओर।
सिमट गया आज आदमी नींद से जागे देखें भोर।


अंधकार ने घेर लिया है मन में मोतीराम हुए।
अपने रस्ते नाप लिए सुखी कहां आराम हुए।


खुली हवा सब धूप में आओ देखो दुनिया सारी।
हाथों से भला पर जाओ यहां मतलब की यारी।


शिक्षा से रोशन हुए हम संस्कारों से हुए विरान।
बस धन के पीछे दौड़े गाड़ी बंगला आलीशान।


दादा-दादी दूर हो गये नहीं खैर खबर मां-बाप की।
नाना नानी दूर कहानी बस गाथा गाते वो आपकी।


रमाकांत सोनी सुदर्शननवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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