घर की इज्जत बची रहे

घर की इज्जत बची रहे

यश कीर्ति किरदार बने हम घर खुशहाली मची रहे।
प्यार और सद्भावो से खुशियों की घड़ियां जची रहे।
घर की इज्जत बची रहे
मान और सम्मान वैभव पुरखों की धरोहर है पावन।
मिले बड़ों का साया सदा आशीष बरसता रहे सावन।
रिश्तो में मधुरता घोले घर में ना कोई माथापच्ची रहे।
प्यार के मोती अनमोल है मुस्कान लबों पर रची रहे।
घर की इज्जत बची रहे
ईर्ष्या द्वेष घृणा छोड़कर प्रेम की सरिताए ला दो।
सुख शांति चैन की बंसी गीतों में रसधार बहा दो।
दुनिया में छवि ऐसी हो सदा सीधी सरल सच्ची रहे।
जुबां पर सुहाने तरानो की हलचल दिलों में मची रहे ।
घर की इज्जत बची रहे
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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