छापा तो छापा पड़ा ऐसे कहते है वो

छापा तो छापा पड़ा ऐसे कहते है वो

मनोज मिश्र
छापा तो छापा पड़ा ऐसे कहते है वो
अंग्रेजों से लड़ने का दावा करते थे जो
तब भी तलवे चाट थे अब भी हैं तलवे चाट
बरगलाया सबको चरखे से खड़ी की खाट


ऐसे ही चाट के तलवे भारत आज़ाद कराया
किया दिया कुछ नहीं बस अपना नाम छपाया
जो भी विदेशी छाप दे वह होता है सत्य
गर इनके नहीं काम का, वो होता है असत्य


नहीं भरोसा इनको कचहरी पर भी राम
मालिक ने जो कह दिया वही इनका श्री राम
माफी मांग के घूमते, लिए बेल बांड हाथ
कहते पीएम तो चोर है गूगल कर लो आप


बिना किसी तथ्य के, कहते हैं उसको चोर
जिसके बूते का हो रहा दुनिया भर में शोर
घपले पे घपले किये जीजा को किया अमीर
फटे जेब का कुर्ता पहन खुद बन रहे गरीब


बेशर्मी की सारी हद तोड़ रहे मुंहजोर
खुद चोरी करते फिरें दूजों को बताएं चोर
सेना कोर्ट संस्था पर नहीं इनको विश्वास
चीनी मालिक के पालतू करते रहते बकवास


घुसा चीन सीमा में अपनी कहते नहीं है थकते
खानदान ने कितना गंवाया चर्चा भी नहीं करते
समझौता शत्रु से किया सन 2008 की है बात
सेना से काट कन्नी किया उससे भितरघात


जहां भर में भारत की खूब आलोचना करते
भूले ये हैं यहीं के बेटे माँ का अपमान न करते
कह मिसर कभी इनकी बात भरोस न कीजै
इन देश द्रोही गद्दारों को कभी वोट न दीजै- 
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