नये साल में खास बदलाव

नये साल में खास बदलाव

(मोहिता स्वामी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
नये साल 2023 का देशवासियों ने इस बार दिल खोलकर और कहीं-कहीं तो मदहोश होकर स्वागत किया। कोरोना महामारी के चलते दो साल नये साल का स्वागत कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया गया। इस बार बीते साल के अंतिम महीने में चीन में कोरोना महामारी ने विकराल रूप जरूर धारण कर लिया था लेकिन उसक प्रभाव हमारे देश में नहीं दिखाई दिया। लोगों ने झूमकर नये साल का स्वागत किया और मंगलमय कामनाएं की थीं। इन शुभकामनाओं का प्रभाव भी कहीं कहीं दिखाई देने लगा है । कुछ जनहित के कार्य अभी हाल में ही हुए हैं। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देने के लिए महात्घ्मा गांधी राष्घ्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) लागू किया गया है। इस कानून के तहत रोजगार की गारंटी दी जाती है, ताकि जरूरतमंद लोग अपना जीवन-यापन कर सकें। समय के साथ इस कानून से जुड़े नियमों में कई बदलाव किए गए, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। उसी प्रक्रिया के तहत अब एक और नियम को बदला गया है। परिवर्तित नियम 1 जनवरी 2023 से लागू हो गया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में सरकारी बस सेवा में सुधार का प्रयास परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इन प्रयासों से जनता को राहत मिलेगी। उत्तराखंड से भी एक खुशखबरी मिली है। टिहरी झील में पर्यटन की अपार संभावनाओं को तलाशते हुए लक्ष्य बनाया जा रहा है कि दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को श्रीनगर और गोवा जैसी एक्टिविटी और सुविधाएं टिहरी झील में मिल सकें। गौरतलब है कि पहाड़ों के बीच स्थित विशाल झील का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती ग्रामीणों के पलायन संबंधी खबरें भी बनी हुई हैं। यहां पर्यटकों की संख्या बढने से ग्रामीणों का पलायन रुकेगा।

उत्तराखंड में इस साल हो सकता है टिहरी झील आने वाले टूरिस्टों के पास ज्यादा विकल्प हों और यहां मसूरी व श्रीनगर जैसी सुविधाओं का विकास हो सके। इसलिए यहां नित नूतन प्रयोग हो रहे हैं और नयी एक्टिविटीज शुरू होने वाली हैं। विश्व मानचित्र पर टिहरी की झील को पर्यटन की दृष्टि से पहचान दिलाने के लिए लगातार नए प्रयोग किए जा रहे हैं। अब टिहरी झील में शिकारा बोट और क्रूज का भी रोमांच पर्यटक ले सकेंगे, जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। इससे पर्यटन को खासा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। शिकारा और क्रूज के अलावा उत्तराखंड की इस मशहूर झील में पैरासेलिंग एक्टिविटी भी शुरू की जाएगी। इसके बाद भी यहां पर्यटन के विस्तार के लिए और विकल्प तलाशे जा रहे हैं।टिहरी झील में बोटिंग के साथ साथ लहरों के रोमांच का लुत्फ उठाने पर्यटक दूर दराज से पहुंचते है और पहाड़ों के बीच में इतनी बड़ी झील में बोटिंग का लुत्फ उठाते हैं। झील में पर्यटकों के लिए फिलहाल सिंपल बोट, स्पीड बोट, जेट स्की राइडिंग ऑप्शन मौजूद हैं, लेकिन पर्यटकों की बढ़ती तादाद को देखते हुए अब यहां विकल्प बढ़ाने की कवायद चल रही है। प्रशासन ने नई एडवेंचर एक्टिविटी के लिए आवेदन मांगे थे, जिसमें फर्स्ट फेज में शिकारा, क्रूज और पैरासेलिंग के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। कलेक्टर इवा आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि इससे टिहरी झील के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने लाइसेंस जारी किए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि जिनके आवेदन स्वीकार हो चुके हैं, उन्हें अनुबंधित किया जा रहा है ताकि पर्यटन सुविधा में देर न हो। आगे की कार्रवाई भी जारी रहेगी, जिसके तहत और लाइसेंस देकर अन्य कई तरह की गतिविधियां यहां शुरू की जाएंगी। इस फैसले से स्थानीय व्यवसायी भी उत्साहित दिख रहे हैं।

स्थानीय बोट मालिकों का कहना है कि अभी तक टिहरी झील पहुंचने वाले पर्यटक सिर्फ कुछ एक्टिविटी तक ही सीमित थे लेकिन शिकारा, क्रूज और पैरासेलिंग शुरू होने से पर्यटकों को टिहरी झील में और रोमांच मिलने की उम्मीद है। अब यहां पर्यटकों के देर तक रुकने की संभावना बढ़ने के साथ ही रोजगार बढ़ेगा।

मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए मौजूदा समय में भी डिजिटल अटेंडेंस का प्रावधान था। हालांकि, इसके लिए एक शर्त थी, जिसे अब हटा दिया गया है। दरअसल, अभी तक जहां 20 से ज्यादा वर्करों की जरूरत होती थी, सिर्फ वहीं डिजिटल रजिस्टर कराने का प्रावधान था। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) लागू किया गया था। इस कानून के तहत रोजगार की गारंटी दी जाती है, ताकि जरूरतमंद लोग अपना जीवन-यापन कर सकें। समय के साथ मनरेगा में भी भ्रष्टाचार होने लगा। इसी के चलते इस कानून से जुड़े नियमों में कई बदलाव किए गए, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। उसी प्रक्रिया के तहत अब एक और नियम को बदला गया है। परिवर्तित नियम 1 जनवरी 2023 से लागू हो गया है। बदले प्रावधानों के तहत मनरेगा के अंतर्गत काम करने वालों के लिए डिजिटल अटेंडेंस (डिजिटल हाजिरी) अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इस बाबत 23 दिसंबर 2022 को ही सभी राज्घ्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखी थी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत 1 जनवरी 2023 से मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए डिजिटल हाजिरी लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना, जवाबदेही तय करना और मस्टर रोल में दोहराव से बचाव है। इस बाबत केंद्र की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए कार्यस्थल पर मोबाइल एप नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम पर रजिस्टर कराना अनिवार्य है। व्यक्तिगत लाभार्थी परियोजना को इससे छूट प्रदान की गई है। मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए डिजिटल अटेंडेंस का प्रावधान था। हालांकि, इसके लिए एक शर्त थी, जिसे अब हटा दिया गया है। दरअसल, अब तक जहां 20 से ज्घ्यादा वर्करों की जरूरत होती थी, सिर्फ वहीं डिजिटल रजिस्टर कराने का प्रावधान था। अब सभी कार्यस्थलों के लिए इसे जरूरी कर दिया गया है। डिजिटल अटेंडेंस के तहत मोबाइल एप पर दो बार समय का उल्लेख और मजदूरों की तस्वीरों को जियोटैगिंग किया जाता है। इससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी। डिजिटल अटेंडेंस प्रावधान की काफी आलोचना भी की गई है । मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप था कि सुपरवाइजर या संबंधित अधिकारियों के पास स्घ्मार्टफोन और इंटरनेट की कनेक्टिविटी न होने की वजह से मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद केंद्र ने इस समस्या को संबंधित प्रदेशों के समक्ष उठाया था। राज्यों ने कुछ सुझाव भी दिये थे।

इसी तरह उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने नए साल में सरकारी बसों से यात्रा करने वाले मुसाफिरों की सहूलियत के लिए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम को ‘परिवर्तन की ओर’ नाम से अभियान चलाने का निर्देश देते हुए अधिकारियों को बसों को गोद लेने को कहा है। राज्य सरकार के एक बयान के मुताबिक, अधिकारियों द्वारा बसों को गोद लेने से उनका (बसों का) समय पर आना-जाना और उनका सही तरीके से रखरखाव सुनिश्चित हो सकेगा। बयान में परिवहन मंत्री ने कहा कि सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अपने डिपो की निगम की 10-10 बसें और क्षेत्रीय प्रबंधक एवं सेवा प्रबंधक दो-दो बसें गोंद लेंगे। उन्होंने गत दिनों जारी बयान में कहा कि बसों को गोद लेने की यह अवधि एक महीने की होगी और अगले महीने अधिकारी फिर से अन्य बसों को गोद लेंगे। इससे बसे ठीक समय से चलेंगी और उनका सही तरीके से रखरखाव भी सुनिश्चित हो सकेगा। बयान में परिवहन मंत्री ने कहा कि सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अपने डिपो की निगम की 10-10 बसें और क्षेत्रीय प्रबंधक एवं सेवा प्रबंधक दो-दो बसें गोंद लेंगे।
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