बिहार के शिक्षा मंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है कानूनी कार्रवाई हो* -----------डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

बिहार के शिक्षा मंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है कानूनी कार्रवाई हो:-डॉक्टर विवेकानंद मिश्र

विश्व प्रसिद्ध बिहार के नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के प्रांगण में, दीक्षांत समारोह में बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर जी के बयान को रामचरितमानस के अधूरे चौपाइयों का उल्लेख कर ऊंच नीच, जाति में भेद करवाने, समाज को जोड़ने वाले नहीं समाज को तोड़ने वाली ग्रंथि बताया है। जबकि सर्वविदित है रामचरितमानस हिंदुओं का ही नहीं बल्कि विश्व-मानवता को दशा -दिशा देने वाला, कृतार्थ करने वाला महान ग्रंथ है। मंत्री जी ने कहा कि रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। उन्हें ज्ञात होना चाहिए की सामाजिक समरसता का ग्रंथ है रामचरितमानस, सामाजिक न्याय का प्रबल पक्षधर ग्रंथ ।
सभी को स्मरण रखना चाहिये कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय रामचरितमानस की चौपाई जनभावना का जापमंत्र बन चुकी है--
पराधीन सपनेहु सुख नाहीं।
ऐसा हृदय-उद्वेलक ग्रंथ है रामचरितमानस।
इसके चरित्रनायक राम परम ब्रह्म के ऐसे अवतारी हैं जो राजमहलों से निकलकर जन-जन में रमते हैं। जीवन का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। निम्नवर्गीय समाज की सबरी के जूठन खानेवाला सामाजिक न्याय का मसीहा नहीं तो और कौन है! वनवासियों का सहयोग न्यायधर्मी को ही मिल सकता है। समाज में घुसे अन्याय, दमन का सफाया कर सुष्ठु समाज का स्थापन कौन कर सकता है!
रामचरितमानस की गरिमा और लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विगत बीसवीं शताब्दी में देश में पाठकीय संख्या की दृष्टि से कोई दूसरा ग्रंथ इसकी बराबरी नहीं कर सका। इसपर हुए शोध-अनुसंधान की संख्या की बराबरी कोई नहीं कर सका।
रामचरितमानस गीता के बाद दूसरा सर्वाधिक पवित्र धर्मग्रंथ है। इसका वर्ण्य-विषय इतना ऐतिहासिक -पौराणिक, जीवन के लिए प्रेरणा दायी है कि विदेशी भी इसमें रमते हुए अपना जीवन इसपर समर्पित कर देते हैं। बुल्गारिया निवासी फादर कामिल बुल्के मानस के ऐसे ही महान विद्वान रहे हैं जो मानस के चलते भारत के होकर रह गये।
डॉक्टर मिश्र ने कहा है कि दीक्षांत समारोह जैसे छात्रों के पवित्र समारोह में मंत्री जी का ऐसा बयान देना चाहिए था जिससे उनके आचरण, ज्ञान और बयान से पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती । किंतु यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सर्वाधिक गरिमा वाले पद -- शिक्षामंत्री का बयान युवाओं को गुमराह करने वाला, जातीय द्वेष को फैलाने वाला नहीं होना चाहिए था। शिक्षा मंत्री का बयान विद्वेष का उन्मूलन करने वाला होना चाहिए था। जाति की सियासत के लिए ऐसे बयान की हम भारतीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच से जुड़े लोग शिक्षा मंत्री के बयान की व्यापक निंदा करते हैं, तीव्र भर्त्सना करते हैं। रामचरितमानस का उल्लेख कर दिए गया बयान सनातन धर्म विरोधी, सनातन संस्कृति विरोधी और नयी पीढ़ी को गुमराह करने वाला नितांत अशोभनीय बयान है। डॉक्टर विवेकानंद मिश्र के बयान को विभिन्न सामाजिक संगठन से जुड़े समाज के जागरूक सनातन धर्मावलंबियों ने समर्थन किया है तथा मंत्री जी पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है -जिसमें प्रमुख लोगों में महासभा में मंच के संरक्षक आचार्य बल्लभ जी महाराज स्वामी सुमन जी महाराज शिवचरण बाबू डालमिया, पंडित बालमुकुंद मिश्रा आचार्य अरुण शास्त्री मधुप सिद्धनाथ मीसो पंडित निशीकांत मिश्रा इंजीनियर अशोक शर्मा अधिवक्ता विक्रम शर्मा रामकृष्ण त्रिवेदी रवि भूषण भारतीय रवि यादव किरण कंचन पाठक शंभू गिरी डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र डॉक्टर मंटू मिश्रा रंजीत पाठक पवन मिश्रा पंडित धनेश चंद्र पाठक प्रोफेसर अशोक यादव हरिद्वार मिश्र मुखिया आशुतोष मिश्र गजोधर लाल पाठक केशव लाल भैया संजीव मिश्र डॉक्टर ज्ञानेश भारद्वाज राम भजन दास देव कुमार ठाकुर फूल दिलीप मांझी सुनीता कुमारी कुमारी श्याम जी मिश्र प्रोफेसर रीना सिंह कविता राऊत मधु मीणा पूजा कुमारी, रूपम राजेश, वैष्णवी मांडवी गुर्दा दीपक पाठक नीलम पासवान केवल सिंह बृजेश सिंह राहुल दास सुरेंद्र पासवान राज किशोर सिंह निर्भय कुमार सिंह सियावर सिंह पासवान रीना पासवान नथुन यादव गुप्तेश्वर ठाकुर अच्युत अनंत मराठे पप्पू बाबा मुकेश पाठक आशीष गुप्ता डोमन राम
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