ऐलान-ए-आगाज

"ऐलान-ए-आगाज"

बहुत सह लिया बहुत रो लिया और नहीं अब रोना है ,
सुख शांति चैन अमन को और नहीं अब खोना है।


इन जहरीले सपोलो के फन अब कुचले जाएंगे,
बहन बेटी नारी की आबरू पर जो दाग लगाएंगे।


बहुत बन चुकी तुम पापा की परी अब मर्दानी बन दिखलाना है ,
इन वहशी हवस खोरो को अब तुम्हें ठिकाने लगाना है।


जनता की है एक आवाज सरकार को बताना है,
पीछे नहीं हटेंगे कदम विश्वास ना अब डगमगाना है।


सभी स्कूलों में कंपलसरी मार्शल आर्ट सिखाया जाए,
बच्चों को पढ़ाई के साथ स्वरक्षा का पाठ पढ़ाया जाए।


अपील मेरी है सरकार से यह शिक्षा मुफ्त में देनी है,
बिना किसी हथियार को छुए सजा-ए-मौत नाम लिख देनी है।


आबरू के लुटेरे को कलम की ताकत दिखलाऊंगा,
शक्ति कितनी है जनता की आवाज में इनको मैं बतलाऊंगा।


साथ सभी तुम देना मेरा यही बात मैं सब से कहता हूँ,
मिलकर हमें लड़नी यह लड़ाई आगाज़ अभी से करता हूं।


स्वरचित एवं मौलिक रचना जनहित में जारी✍सुमित मानधना 'गौरव', सूरत 😎
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