नीतीश कुमार का सियासी इशारा

नीतीश कुमार का सियासी इशारा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार में तेजस्वी यादव के महागठबंधन की मदद से सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं - न मैं पीएम पद का उम्मीदवार हूं और न सीएम पद का। मेरा लक्ष्य बीजेपी को हराना है। इससे पहले वह कह चुके है कि अब थर्ड फ्रंट नहीं मेन फ्रंट बनेगा। इस प्रकार नीतीश कुमार अपने को विपक्षी दलों का नेता घोषित करना चाहते हैं। स्वाभाविक है कि विपक्षी दलों का नेता अगर भाजपा को पराजित करने में सफल हो गया तो वही प्रधान मंत्री पद का सशक्त दावेदार हो जाएगा। बिहार में तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी भी वह घोषित कर रहे है लेकिन इस पर उनकी पार्टी जद(यू) से कोई प्रतिक्रिया यदि फैरेबी तौर पर नहीं मिली तो इसका यह अर्थ नहीं कि वहां से तेजस्वी की सत्ता को स्वीकार कर लिया जाएगा। इसलिए नीतीश कुमार के सियासी इशारे के मतलब निकाले जा रहे हैं। वह बिहार के मुख्यमंत्री है, इसके बावजूद कहते हैं मैं सीएम पद का उम्मीदवार नहीं हूं। भाजपा को हराना अपना लक्ष्य बताते हैं जो विशेष रूप से कांग्रेस का लक्ष्य है। वह कहते हैं कि अगर विपक्षी पार्टी हमारी बात माने तो जीत जाएंगे, अगर नहीं मानेंगे तो इसमें हमको क्या, मेरा कोई नुकसान नहीं है। पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हाल में जद(यू) के खुले अधिवेशन में नीतीश कुमार ने यह कहा था।

नीतीश कुमार ने नालंदा में एक दंत (डेंटल) मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन के बाद भाषण में दो बार तेजस्वी के संबंध में जैसे बोला उससे ये अटकलें और तेज हो गयी हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार राज्य के भविष्य की ओर इशारा करते हुए बोले- आगे भी जो कुछ काम होगा उसे तेजस्वी यादव पूरा करते रहेंगे। इसी के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि बिहार सीएम नीतीश कुमार अब पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। ऐसे में वो बिहार की सियासत को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के हवाले करने को तैयार हैं। राजनीति की दुनिया में ये अटकलें तभी से जोर पकड़ रही थीं। जब से महागठबंधन सरकार बनी हैं क्या बिहार में उप मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव को मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने अपना राजनीतिक उतराधिकारी घोषित कर दिया हैं? बिहार की सियासत में पिछले दिनों जो कुछ घटा, वो किसी से छिपा नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि बिहार सीएम नीतीश कुमार अब पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। ऐसे में वो बिहार की सियासत को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के हवाले करने को तैयार हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 2024 में विपक्ष एकजुट होता है तो बीजेपी को हराया जा सकता है। इस पर भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि 2024 को उन्हें भूल जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2024 में नरेंद्र मोदी के अलावा कोई प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है।

ध्यान देने की बात है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में सभी गैर भाजपा दलों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा था कि यह ’पहला और मुख्य मोर्चा’ होगा न कि ‘तीसरा मोर्चा’। उन्होंने कहा था कि अगर सभी राज्यों में सभी गैर-भाजपाई दल एक साथ आते हैं, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक ऐसा माहौल बनेगा जिसके बाद चीजें एकतरफा नहीं रह जाएगी। मैंने जिस किसी से भी बात की, उसके सकारात्मक नतीजे रहे. भाजपा और कांग्रेस को छोड़ तीसरे मोर्चे की बात पर उन्होंने कहा, “जब भी कोई कहता है कि तीसरा मोर्चा बनाने की जरूरत है, तो मैं हमेशा कहता हूं कि चलो ’मुख्य मोर्चा’ बनाते हैं. जब भी ऐसा होगा, वह मुख्य मोर्चा होगा, तीसरा मोर्चा नहीं।”

बिहार में भाजपा से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल और अन्य दलों के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान विपक्षी नेताओं से मिल रहे थे। इससे पहले दिन में नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एक साझा मंच पर लाने की कोशिशों के तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। कुमार ने भाकपा (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य से भी मुलाकात की थी। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा के खिलाफ एक विकल्प पेश करने का सही वक्त आ गया है। नीतीश ने पवार के साथ 30 मिनट चली बैठक के बाद कहा, “पवार और मैं दोनों उन विपक्षी ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं, जो भाजपा के साथ नहीं हैं। गठबंधन के नेता का फैसला बाद में किया जा सकता है। पहले एक साथ आना जरूरी है।’’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसी क्रम मेंकांग्रेस के नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। उन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओ.पी. चैटाला, समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। दुर्भाग्य से मुलायम सिंह जी इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अखिलेश को नीतीश विपक्षी एकता में जोड़ेंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए एक बार फिर दिल्ली आएंगे, जो निजी कारणों से उस वक्त विदेश यात्रा पर थीं। कुमार ने अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से भाकपा (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य से मुलाकात के बाद कहा, “मैं दिल्ली में सभी लोगों से मिला हूं और उनमें से कई लोगों ने मुझे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर आने के लिए धन्यवाद दिया है। नीतीश ने कहा, “सबको एहसास है कि जिनके हाथ में सत्ता है, वे देश में हर जगह नुकसान पहुंचा रहे हैं।” नीतीश कुमार भले ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के कयासों को लगातार खारिज कर रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के अंदर इस बात को लेकर आवाज उठ रही है कि कुमार अपने विशाल अनुभव और साफ-सुथरी छवि की वजह से विपक्षी नेतृत्व की कमान संभालने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं. प्रधानमंत्री बनने की उनकी आकांक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा था, “यह ठीक नहीं है. मैं इस पद का दावेदार नहीं हूं, और न ही मैं इसका इच्छुक हूं।
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