अरुणाचल के जोश से चीन पस्त

अरुणाचल के जोश से चीन पस्त

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
राज्य की सरहद पर पिछले कुछ महीनों में जिस तरह चीन की सैन्य लामबंदी बढ़ी है, उस पर नजर रखते हुए भारतीय सेना और वायु सेना भी तेजी से अपने आप को मजबूत कर रही हैं। दोनों सेनाओं ने न केवल एलएसी के आसपास के इलाकों में अपनी सैन्य तैनाती को मजबूत किया है, बल्कि नए-नए हथियारों को भी पहाड़ों में तैनात किया है। इंडियन मिलिट्री ने अपनी रणनीति को डिफेंसिव से बदलकर डिफेंसिव-ऑफेंसिव कर दिया है। यानी कि चीन ने अब अगर 1962 की तरह कोई हिमाकत करने की कोशिश की तो उसे बहुत कुछ गंवाने को तैयार रहना पड़ सकता है।

अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने बिल्कुल सही कहा है कि यह 1962 का भारत नहीं है। भारतीय सेना के जवानों ने बीते 9 दिसम्बर को चीनी सैनिकों को खदेड़ कर यह साबित भी कर दिया है। सीमावर्ती इस राज्य के तवांग सेक्टर मंे भारतीय और चीनी सैनिकों मंे झड़प हुई थी। भारत के विपक्षी दलों ने इस मामले में जो सवाल उठाए हैं, वे उचित नहीं लगते। अमेरिका ने भी भारतीय सेना की तारीफ की है। ह्वाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन पियरे ने कहा कि अमेरिका स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हैं। अमेरिका ने भारत का साथ देने का आश्वासन भी दोहराया है। ह्वाइट हाउस ने कहा कि बाइडेन प्रशासन इस बात से खुश है कि भारत और चीन दोनों झड़प के बाद तुरन्त पीछे हट गये। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले मंे संसद मंे बयान भी दिया था। इसके बावजूद कांग्रेस के जयराम रमेश ने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार को चीन पर चुप्पी तोड़नी चाहिए। दिल्ली मे मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी सरकार को जवाबदेह ठहराते हुए कहा था ‘चीन हमंे ओखें दिखाता है और हमारी सरकार उसे ईनाम दे रही है। विपक्ष के लिए इस प्रकार के बयान उचित नहीं हैं। इस समय सभी को केन्द्र सरकार और अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू के साथ खड़ा होना चाहिए।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उनकी सरकार न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के मंत्र के प्रति प्रतिबद्ध है और प्रभावशीलता एवं दक्षता लाने के लिए मिशन मोड में शासन में सुधार लाने का कार्य शुरू किया है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की ओर से यहां जारी बयान के अनुसार सुशासन सप्ताह के तहत शुरू हो रहे केंद्र सरकार के पांच दिवसीय ‘प्रशासन गांव की ओर अभियान’ के मौके पर अपने संदेश में खांडू ने यह विचार व्यक्त किया था। दरअसल राज्य की सरहद पर पिछले कुछ महीनों में जिस तरह चीन की सैन्य लामबंदी बढ़ी है, उस पर नजर रखते हुए भारतीय सेना और वायु सेना भी तेजी से अपने आप को मजबूत कर रही हैं। दोनों सेनाओं ने न केवल एलएसी के आसपास के इलाकों में अपनी सैन्य तैनाती को मजबूत किया है, बल्कि नए-नए हथियारों को भी पहाड़ों में तैनात किया है। इंडियन मिलिट्री ने अपनी रणनीति को डिफेंसिव से बदलकर डिफेंसिव-ऑफेंसिव कर दिया है। यानी कि चीन ने अब अगर 1962 की तरह कोई हिमाकत करने की कोशिश की तो उसे बहुत कुछ गंवाने को तैयार रहना पड़ सकता है। भारत कई स्तर पर तैयारी कर रहा है।

इनमे से सबसे बड़ा प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में बन रही सेला टनल का है, जो लगभग तैयार हो चुकी है। इससे बर्फ के रास्ते को बाईपास करते हुए सरहद तक साल के 12 महीनों आवागमन बना रहेगा। सेला टनल भारतीय सेना के लिए एक मजबूत लाइफ लाइन होगी। अरुणाचल प्रदेश में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी 2 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सेला सुरंग के मार्च 2023 में शुरू होने की उम्मीद है। इस सुरंग के जरिए चीन की सीमा के पास तवांग सेक्टर तक मिसाइल और टैंक आसानी से पहुंच जाएंगे। इस सुरंग को खास तकनीक का प्रयोग करके बनाया गया है, जो हर मौसम में इस टनल से कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह टनल तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों के बीच की यात्रा दूरी को 6 किलोमीटर और ट्रैवल टाइम को एक घंटा कम कर देगी। इसके साथ ही एलएसी के पास हथियारों की मौजूदगी बढ़ाई जा रही है। डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फॉर रेडिनेस इन बॉर्डर एक टाइम फ्रेम के तहत किया जा रहा है। वायु सेना भी अग्रिम सीमा क्षेत्रों में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और हेलीपैड की संख्या बढ़ा रही है, जिससे चीन की ओर से हिमाकत होने पर तुरंत उसे करारा जवाब दिया जा सके। इसके साथ ही सीमा से सबसे करीबी असम के तेजपुर और पश्चिम बंगाल के हाशीमारा में एडवांस फाइटर जेट राफेल की स्कवाड्रन भी अलर्ट मोड में तैयार रखी गई है।

तेजपुर के स्थानीय लोगों का कहना है पिछले कुछ दिनों से वायुसेना के फाइटर जेट्स लगातार आसमान में गश्त लगा रहे हैं। सीमा के पास सेना प्रिसीजन गाइडेड एम्युनिशन का भंडार बढ़ा रही है। ये ऐसे खतरनाक मिसाइल, ड्रोन और बम हैं, जो पिन पॉइंट एक्युरेसी के साथ दुश्मन पर हमला करते हैं और पलक झपकते ही उसे तहस नहस कर डालते हैं। चीन की ओर से सीमावर्ती इलाकों में गांव बसाए जाने के जवाब में भारत सरकार भी अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के 990 सीमावर्ती गांवों को आधुनिक सुविधाओं से लैस कर रही हैं। सरहदी इलाकों में टेलीकम्युनिकेशन बेहतर करने के लिए नए मोबाइल टावर्स लगाए जा रहे हैं। चीन की तरफ से एलएसी के पास मोबाइल नेटवर्क पहले ही बेहतर बना चुका है। कभी कभी भारतीय इलाके में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन चीन का नेटवर्क पकड़ लेते थे लेकिन अत्याधुनिक रडार के जरिए भारत ने चीन के नेटवर्क को अपने एरिया से दूर कर दिया है और अब पूरे सीमावर्ती इलाके में 4जी नेटवर्क के मोबाइल कम्युनिकेशन को बेहतर बना लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि सेला टनल चालू हो जाने के बाद तवांग तक रेलवे नेटवर्क का भी विस्तार किया जाएगा। चीन ने भारत की सीमा से सटे कई गांवों का निर्माण किया है। उत्तराखंड हो, लद्दाख हो या अरुणाचल प्रदेश का तवांग, सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि चीन ने अपनी तरफ सड़कें, गांव और एयरबेस बना लिये हैं। चीन न केवल अक्टूबर से सक्रिय था, वह 2020 से अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा था। इतना ही नहीं, चीन ने एलएसी के पास अपनी तरफ एक एयरबेस भी बनाया था। सैटेलाइट तस्वीरों से यह भी पता चलता है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में तवांग से लगी सीमा के पास गांवों का निर्माण किया है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उस तरफ एक सड़क भी बना ली है। सूत्रों के मुताबिक, चीनी बुनियादी ढांचे का निर्माण 16 अक्टूबर को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस शुरू होने से ठीक पहले शुरू हो गया था। इस प्रकार चीनी सेना ने अपनी ताकत बढ़ाने के बाद 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 17,000 फीट ऊंची चोटी तक पहुंचने की कोशिश की। पूरी तरह से तैयार और जागरूक, भारतीय सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में अपने प्रयास में चीनियों को हराया। चीनी सैनिकों को पता चल गया है कि अब 1962 का भारत नहीं है।
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