राजनीति में भी चरैवेति की रणनीति

राजनीति में भी चरैवेति की रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने गतिमान राजनीति की रणनीति अपनाई है। इसी के तहत मैनपुरी, रामपुर व खतौली के उपचुनाव सम्पन्न होते ही निकाय चुनाव की तैयारी युद्ध स्तर पर शुरू हो गयी है। मुख्यमंत्री ने इसकी जिम्मेदारी विधायकों को सौंपी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वार्ड एवं अध्यक्षों का आरक्षण तय हो गया है। सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। सीएम ने विशेष रूप से यह बात कही है कि पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाए, उसको चुनाव में विजयी बनवाने का प्रयास करें। योगी ने कहा है कि सभी नगर निगम और निकायों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करनी होगी। स्थानीय निकाय के चुनाव अगले महीने अर्थात् दिसम्बर में होने हैं।

दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को पता है कि स्थानीय निकाय के चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए दूसरे सियासी दलों के मुकाबले बीजेपी की तैयारी भी निकाय चुनाव को लेकर काफी आगे दिख रही है। बीजेपी ने 17 नगर निगम चुनाव के लिए अपने चुनाव प्रभारी, चुनाव संयोजक पहले ही नियुक्त कर दिए हैं। इसके अलावा नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव के लिए स्थानीय स्तर पर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहां पर संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट भी तैयार हो रही है। शहरों में तो बीजेपी पहले से ही लोगों की पसन्द रही है और अब बीजेपी 6 साल से उत्तर प्रदेश में सत्ता में है और ज्यादातर चुनाव में उसे जीत हासिल हुई है तो इसका भी फायदा बीजेपी को मिलेगा। हालांकि स्थानीय निकाय चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में 3 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। बीजेपी इन उपचुनाव को लेकर भी जीत के दावे कर रही है। इन उपचुनाव के परिणाम भी उसके दावे की हकीकत को बयां करेंगे लेकिन इतना जरूर है कि बीजेपी निकाय चुनाव को जीतने के लिए इस बार एक नई रणनीति के तहत काम कर रही है और वह इस कोशिश में जुटी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर अभी से माहौल तैयार करे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के सभी विधायकों को नगरीय निकाय चुनाव में जुटने और उनके क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव को लेकर वार्ड और अध्यक्षों का आरक्षण निर्धारित हो गया है। सभी विधायक अपने क्षेत्र में चुनावी तैयारी में जुट जाएं। पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाए उसे चुनाव जिताएं। उन्होंने कहा कि सभी नगर निगम और निकायों में भाजपा का बोर्ड बनना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के बीच बीजेपी ने राज्य में नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी है। इसके लिए बीजेपी विशेष प्लानिंग कर रही है। इसके लिए बीजेपी में हर वर्ग में तीन-तीन नाम का पैनल तैयार किया जा रहा है। ये पैनल नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के साथ ही वार्ड से प्रत्याशियों के नाम का पैनल तैयार हो रहा है।

नगर निकाय चुनाव के लिए अनुसूचित जाति से तीन-तीन नाम का पैनल हर निकाय से बीजेपी में तैयार हो रहा है। इस तैयारी से आरक्षण जारी होने के साथ ही बीजेपी प्रत्याशी घोषित कर पाएगी। जब तक अन्य दल प्रत्याशी तय करेंगे, तब तक बीजेपी अपने प्रचार और जनसंपर्क अभियान को तेज कर चुकी होगी। बीजेपी पिछले कई महीनों से निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी है। वहीं, दूसरी ओर जल्द ही निकाय चुनाव का एलान भी हो सकता है। यूपी निकाय चुनाव को लेकर आयोग ने तैयारियां भी तेज कर दी है। इसके लिए मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का भी काम किया जा रहा है। मतदाता सूची के जारी आंकड़ों के अनुसार यूपी निकाय चुनाव में इस बार कुल चार करोड़ 27 लाख 40 हजार 320 वोटर्स वोट डालेंगे। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होने के बाद वोटरों की कुल संख्या बढ़कर चार करोड़ 27 लाख से ज्यादा हो गई है जबकि 2017 में हुए निकाय चुनाव पर गौर करें तो उसकी तुलना में इस बार पूरे प्रदेश में 91.44 लाख मतदाता बढ़े हैं। 2017 में 652 निकायों के चुनाव में तीन करोड़ 33 लाख से ज्यादा मतदाता थे। बता दें कि राज्य में बीते पांच साल में 111 नई नगर पंचायतों का गठन हुआ है। इसके अलावा पांच सालों के दौरान 130 नगर पंचायतें नगर पालिका परिषदों और नगर निगम में सीमा विस्तार हुआ है। यूपी में दिसंबर महीने में स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं। बीजेपी दावा कर रही है कि इस बार निकाय चुनाव में ऐसी रणनीति तैयार की जा रही है जिससे जो वार्ड उसने लंबे समय से नहीं जीते उसे भी जीत जाएं। बीजेपी की तैयारी है कि इस निकाय चुनाव में हर एक पद के लिए अपने सिंबल पर उम्मीदवार को उतारा जाए। 2017 में बीजेपी ने मेयर के लिए हुए चुनाव में जहां 87 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी तो वहीं नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उसकी जीत का प्रतिशत मेयर के मुकाबले काफी कम था। इस बार पार्टी का दावा है कि ना केवल मेयर बल्कि नगर पालिका और नगर परिषद में भी बीजेपी ज्यादा सीटें जीतेगी।

2017 में उत्तर प्रदेश में जब स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे तब यूपी में 16 नगर निगम थे। बीजेपी ने इनमें से 14 नगर निगमों में जीत हासिल की थी। यानी मेयर पद के लिए हुए चुनाव में बीजेपी को 87 फीसदी सीटों पर जीत हासिल हुई थी और नगर निगम के वार्डों में बीजेपी के 597 पार्षद जीते थे और यहां बीजेपी का जीत का प्रतिशत लगभग 46 फीसदी था। वहीं नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर बीजेपी के 70 उम्मीदवार जीते थे। यहां बीजेपी का विनिंग परसेंटेज 35 फीसदी था जबकि नगर पालिका परिषद के सदस्य के चुनाव में बीजेपी के 923 सदस्य चुने गए थे और जीत का प्रतिशत 17 था। वही नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर बीजेपी के 100 अध्यक्ष चुने गए थे। यहां जीत का प्रतिशत 22 था। नगर पंचायत सदस्य के पद पर बीजेपी के 664 उम्मीदवार जीते थे और यहां जीत का प्रतिशत 12 था। शहरों में तो बीजेपी उम्मीदवारों को बड़ी जीत मिली लेकिन जब बात नगर पालिका और नगर पंचायत तक पहुंची तो जीत का प्रतिशत कम होता चला गया। पार्टी इस बार पार्टी दावा कर रही है कि सभी सीटों पर बीजेपी ही जीत हासिल करेगी और उसके इस दावे के पीछे पार्टी के नेताओं का कहना है कि 2017 में प्रदेश में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी थी लेकिन अब योगी सरकार के 6 साल का कार्यकाल लोगों के सामने है। इसके अलावा 2017 से जितने भी चुनाव हुए हैं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ता ही चला गया है और ऐसा ही इस बार स्थानीय निकाय के चुनाव में भी होगा।
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