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गुरु गोविंद सिंह के प्यारे लाल

गुरु गोविंद सिंह के प्यारे लाल

हे गुरु गोविंद सिंह के प्यारे लाल ,
छोटेपन में तूने किया बड़ा कमाल ।
धर्म की हानि ही बचाने खातिर ,
ग्रास बनाया तुझको यह काल ।
वीर पिता के दो वीर ये बालक ,
सच्चे धर्म के सच्चे दोनों भाल ।।
जोरावर व फतेह वीर बहादुर ,
बहादुर पिता के बहादुर पुत्र थे ।
पुत्र तो थे वे अपने पिता के ही ,
किन्तु सिक्ख धर्म सच्चे सूत्र थे ।।
सिक्ख धर्म के वे सच्चे अनुयायी ,
हार मानना कभी नहीं सीखा था ।
अटल रहा वह निज सच्चे पथ पे ,
जो जीवन हेतु बहुत तीखा था ।।
अपने धर्म की ही वे रक्षा हेतु ,
जोरावर दीवार में जोड़वा दिया ।
फतेह सिंह भी स्व जीवन देकर ,
इस्लाम धर्म ही झुकवा दिया ।।
बहादुर शेर के बच्चे थे ही दोनों ,
अपनी बहादुरी भी दिखा दिया ।
मर मिटे दोनों धर्म रक्षा के हेतु ,
इस्लाम को सबक सीखा दिया ।।
पिता के नाम का गौरव बढ़ाया ,
हिन्दुस्तान का सिर किया ऊँचा ।
लगा दिया दाँव पर निज जीवन ,
पिता का सिर नहीं किया नीचा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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