महावीर प्रसाद द्विवेदी की पूण्यतिथि पर साहित्यिक गोष्ठी एवं परिचर्चा

महावीर प्रसाद द्विवेदी की पूण्यतिथि पर साहित्यिक गोष्ठी एवं परिचर्चा

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर ।

औरंगाबाद,( दिव्य रश्मि)।औरंगाबाद जिला की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं समकालीन जवाबदेही परिवार के संयुक्त तत्वाधान में द्विवेदी युग के प्रणेता, महान साहित्यकार,हिंदी भाषा एवं साहित्य के युग प्रवर्तक महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की 84 वीं पुण्यतिथि के मौके पर साहित्यिक गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया जबकि संचालन मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया।
दिवेदी युग एवं आधुनिक काल, हिंदी साहित्य का उत्कर्ष। विषयक परिचर्चा में समकालीन जवाबदेही के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा,डॉ रामाधार सिंह,पुरुषोत्तम पाठक, मुरलीधर पांडेय,
सिंहेश सिंह,कृष्णदेव पाण्डेय सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि द्विवेदी युग आधुनिक हिंदी साहित्य का उत्कर्ष काल के रूप में जाना जाता है उस समय के साहित्यकारों का नवोन्मेष का दौर था जिसमें साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को ऐसे से विभूतियों से साक्षात्कार कराया उत्कृष्ट काव्य ग्रंथों की सर्जन आएं हुई खड़ी बोली का आधुनिक स्वरूप के बारे में हम लोग जान सके।हिंदी भाषा का वैज्ञानिक स्वरूप की स्वच्छंद व्याख्या हुई। हिंदी को विश्व के क्षितिज पर स्थापित करने में द्विवेदी युग ने पृष्ठभूमि के भूमिका निभाई हिंदी साहित्य का इतिहास को हम विस्तृत रूप से जान सके। द्विवेदी जी स्वयं साहित्यिक सर्जना करते हुए भी अन्य साहित्यकारों को भी सर्जना के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बने।देवी स्तुति शतक एवं काव्य मंजूषा द्विवेदी की सर्वोत्कृष्ट रचना है।
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