भारतीय पुत्र हूँ मैं ,
भारत माँ का लाल हूँ ।
भारतीय चाल चलनेवाला,
अरियों हेतु मैं काल हूँ ।।
करता हूँ मैं सच्ची दोस्ती ,
धोखेबाज हेतु धोखेबाज हूँ ।
चाह रहे आज जैसा तुम भी ,
ठीक वैसा ही मैं भी आज हूँ ।।
भरोसा किया जिसने मुझपर ,
उसके लिए ही तो मैं नाज हूँ ।
दगा किया जिसने भी मुझसे ,
उसके बदन का मैं खाज हूँ ।।
तिरंगे के लिए ही तो जीना है ,
तिरंगे के लिए मारना मरना है ।
तिरंगे पर जो खतरा मँडराया ,
तिरंगे के लिए ही तो लड़ना है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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